अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 21 मई
जिंदगी में क्या आपने ऐसा स्कूल देखा है जिसमें विद्यार्थी पिंजरे नुमा क्लास में शिक्षा ग्रहण कर रहे हों। छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध भिवानी से 4 किलोमीटर दूर गांव कोंट में ऐसा ही एक स्कूल है। कहने को यह संस्कृति मॉडल स्कूल है लेकिन बंदरों के आतंक के सामने सुरक्षा की सभी दावे फेल नजर आ रहे हैं। बच्चे भी जान हथेली पर रखकर डर-डरकर पढ़ने को मजबूर हैं। यहां बंदरों का आतंक इतना ज्यादा है कि बच्चों को यदि पानी पीने जाना है या फिर लघु शंका के लिए जाना है तो भी मास्टरजी को डंडा साथ लेकर बच्चों के साथ जाना पड़ता है। स्कूल प्रबंधन ने बरामदों में भी जाल लगा दिए हैं। गांव के राजकीय मॉडल संस्कृति प्राइमरी स्कूल में वैसे तो सरकार ने सुविधा देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन बंदरों ने पूरे गांव में आतंक मचा दिया। जब स्कूल की छुट्टी होती है तो भी हाथों में लाठी-डंडे लेकर अध्यापक बच्चों को स्कूल के बाहर गेट पर छोड़ कर आते हैं।
हालात इतने खराब हैं कि बंदरों के डर से 29 बच्चों ने स्कूल ही छोड़ दिया है। खौफजदा अभिभावक एसएलसी लेकर अपने बच्चों का अन्य स्कूल में एडमिशन करवा रहे हैं। बंदरों के डर से बच्चे ग्राउंड में खेल नहीं सकते, न ही सर्दियों में धूप में बैठ सकते हैं। बच्चों का हर समय बंदरों का डर सताता रहता है। अब तक 12 बच्चे बंदरों के हमलों की चपेट में आ चुके हैं।
पढ़ाने के साथ बच्चों को बचाना भी चुनौती : मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी अजय कुमार ने बताया कि बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ बंदरों से बचाना बड़ी चुनौती है, अगर किसी बच्चे को बाथरूम जाना हो तो एक शिक्षक को डंडा लेकर सुरक्षा के रूप में साथ जाना पड़ता है। कमरों के बाहर बने बरामदे को लोहे की जाली से कवर किया गया है, ताकि कक्षा में बंदर ना सके। पहले बंदर बच्चों की पुस्तक, बैग तक उठा ले जाते थे। शिक्षा विभाग व प्रशासन को कई बार लिखित में शिकायत दे चुके हैं। वर्ष 2019 में बंदरों को पकड़ा भी गया था लेकिन बंदरों की संख्या अब बहुत ज्यादा हो चुकी है। वे 30-40 के झुंड में आकर बच्चों, महिला शिक्षक व अन्य स्टाफ को अपना निशाना बना लेते हैं। लोग मंगलवार को बंदरों को केले, चूरमा डाल जाते हैं, इस वजह से इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। इस स्कूल में 227 विद्यार्थियों के अलावा स्टाफ के 24 सदस्य भी हैं। यहां आंगनवाड़ी केंद्र भी है जिसमें गर्भवती भी आती हैं और बंदरों के आतंक से परेशान हैं।
वन विभाग से करेंगे संपर्क
जिला शिक्षा अधिकारी रामावतार शर्मा ने बताया कि मामला संज्ञान में है और वे जल्द ही वन विभाग से सम्पर्क करके बंदरों को जंगल मे छुड़वाने का इंतजाम करेंगे। उन्होंने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए जलियां लगा रखी है।