विधायक-हारे प्रत्याशी बने ‘ग्राउंड रिपोर्टर’, सीधे सीएम को देंगे रिपोर्ट
यह पहली बार है जब भाजपा संगठन और सरकार ने मिलकर हर विधानसभा क्षेत्र में नेता सक्रिय किए हैं। इससे जनता की समस्याओं का तुरंत समाधान होगा और प्रशासनिक जवाबदेही भी बढ़ेगी। राजनीतिक हलकों में इसे संगठनात्मक मजबूती का अवसर भी माना जा रहा है। नेताओं को जनता के बीच भेजकर भाजपा दोहरी रणनीति पर काम कर रही है। एक तरफ राहत कार्यों की निगरानी और दूसरी तरफ राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कवायद। खासकर चुनाव हार चुके प्रत्याशियों के लिए यह मौका है कि वे सक्रिय रहकर जनता का विश्वास जीतें।
जनता के बीच सीधा संवाद
मुख्यमंत्री सैनी ने निर्देश दिया है कि मंत्री, विधायक और प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में जनता के साथ मौजूद रहें। कई हलकों में भाजपा नेताओं ने एसडीएम कार्यालयों पर पहुंचकर शिकायतें सुनीं और अधिकारियों को मौके पर ही निर्देश दिए। जलभराव वाले इलाकों का दौरा कर उन्होंने स्थिति का जायजा भी लिया। हर प्रतिनिधि को बाढ़ से जुड़े नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी होगी – खेतों में डूबी फसल, जलभराव, टूटी सड़कें, बिजली-पानी की समस्या। यह रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचेगी। इसके आधार पर तुरंत विभागीय कार्रवाई होगी। रुख स्पष्ट है कि अब कागज़ी रिपोर्ट नहीं, जमीनी हकीकत के आधार पर फैसले होंगे।
अधिकारियों पर बढ़ेगा दबाव
भाजपा नेताओं की फील्ड मौजूदगी से प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव स्वतः बढ़ जाएगा। कोई भी अधिकारी हालात को हल्का दिखाने की हिम्मत नहीं करेगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह मॉडल अधिकारियों की जवाबदेही को मजबूती देगा। मुख्यमंत्री का विदेश दौरा पहले से तय था, लेकिन उन्होंने हालात की गंभीरता को देखते हुए उसे रद्द कर दिया। सैनी ने कहा कि जनता की परेशानी के समय मुख्यमंत्री का प्रदेश में होना जरूरी है।
वहीं दूसरी ओर, सरकार ने किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल 15 सितंबर तक खोल दिया है। सिर्फ सरकार ही नहीं, भाजपा संगठन भी इस संकट में पूरी तरह जुटा है। प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने 5 सितंबर को रोहतक में बैठक बुलाई है। इसमें जिलाध्यक्ष और मोर्चा पदाधिकारी शामिल होंगे। बैठक में तय होगा कि संगठन प्रशासन को कैसे सहयोग दे और कार्यकर्ताओं को राहत कार्यों में कैसे लगाया जाए।
‘शेडो विधायक’ मॉडल
यहां बता दें कि पार्टी ने पिछले चुनाव में हारी हुई 42 सीटों पर 12 मंत्रियों और 30 विधायकों को ‘शेडो विधायक’ नियुक्त किया है। उनका काम केवल बाढ़ राहत तक सीमित नहीं है, बल्कि विकास कार्यों की निगरानी और जनता से जुड़े रहने का भी है। यह मॉडल आगामी चुनावों के लिए संगठनात्मक मजबूती की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।