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सात साल की उम्र में लापता, 22 की उम्र में परिवार से मिली बेटी

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की सराहनीय पहल
सोनीपत में परिजनों को देखते ही गले लगकर भावुक हुई नेहा। -ट्रिब्यून फोटो
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चंडीगढ़, 18 जनवरी (ट्रिन्यू)

करीब 15 साल पहले महाराष्ट्र से लापता हुई 7 वर्षीय बच्ची नेहा अब 22 साल की उम्र में अपने परिवार से मिल गई है। हरियाणा पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) की प्रयासों से यह मुमकिन हो पाया। सरकारी आश्रम में रहते हुए पढ़ाई कर रही नेहा बीए द्वितीय वर्ष की तैयारी में जुटी थी। परिवार से मिलने के बाद वह अपने माता-पिता के साथ महाराष्ट्र लौट गई है। नेहा ने एएसआई राजेश से गुहार लगाई थी कि प्लीज, मेरे माता-पिता को ढूंढ दीजिए। मुझे उनकी बहुत याद आती है।

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यह भावुक निवेदन एएचटीयू के प्रयासों का आधार बना। नेहा 2010 में पानीपत में रेस्क्यू की गई थी और तब से सोनीपत स्थित ‘बालग्राम’ में रह रही थी। जब पंचकूला यूनिट के एएसआई राजेश वहां पहुंचे तो नेहा ने उनसे अपनी यह इच्छा साझा की। उसने बताया कि उसे अपने घर की ज्यादा जानकारी याद नहीं, लेकिन वह कहानियों और संकेतों से अपनी पहचान की ओर इशारा करती रही। काउंसिलिंग के दौरान नेहा ने अपने गांव की कुछ विशेष बातें बताईं, जैसे दो गलियां, बुजुर्गों की टोपी पहनने की परंपरा और अलग भाषा। इन सुरागों के आधार पर राजेश ने 2010 के रिकॉर्ड खंगाले और महाराष्ट्र के वर्धा जिले की ओर जांच शुरू की।

नेहा के लापता होने की एफआईआर 15 मार्च, 2010 को वर्धा पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। पंचकूला यूनिट ने वर्धा पुलिस से संपर्क कर यह मामला सुलझाया। नेहा के भाई अनिकेत से वीडियो कॉल के जरिए बातचीत करवाई गई, जिसमें परिवार ने नेहा को पहचान लिया।

बेटी को गले लगाते ही परिजनों के छलके आंसू

परिवार की पहचान होते ही नेहा के माता-पिता उसे लेने सोनीपत पहुंचे। वर्षों बाद बेटी को गले लगाते समय उनकी आंखें छलक उठीं। डीजीपी शुत्रजीत कपूर ने पंचकूला यूनिट को इस मानवीय कार्य के लिए बधाई दी। एडीजीपी ममता सिंह ने इस अवसर पर कहा कि हर माता-पिता को अपने बच्चों का आधार कार्ड जरूर बनवाना चाहिए, इससे उनकी तलाश में मदद मिलती है।

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