कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 30 दिसंबर
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों ने जई की एक साथ दो नई व उन्नत किस्में ओएस 405 व ओएस 424 विकसित की हैं। दोनों की खास बात यह है कि हरे चारे के लिए प्रसिद्ध किस्म कैंट व ओएस 6 की तुलना में इनका उत्पादन भी 10 प्रतिशत ज्यादा है और इनमें प्रोटिन की मात्रा भी ज्यादा है जिससे पशुओं में दूध उत्पादन भी बढ़ेगा। ये किस्में पत्ता झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी भी हैं। अब तक हकृवि के वैज्ञानिक जई की नौ किस्में विकसित कर चुके हैं। इन किस्मों को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि एवं सहकारिता विभाग की ‘फसल मानक, अधिसूचना एवं अनुमोदन केंद्रीय उप-समिति द्वारा नई दिल्ली में आयोजित बैठक में अधिसूचित व जारी कर दिया गया है। जई की इन किस्मों में ओएस 405 की भारत के मध्य क्षेत्र मुख्यत: महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य यूपी और ओएस 424 को पहाड़ी क्षेत्र जिसमें हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व उत्तराखंड के लिए सिफारिश की गई है।
इन वैज्ञानिकों की मेहनत लाई रंग : इन किस्मों को विकसित करने में आनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग विभाग के चारा अनुभाग के वैज्ञानिक डॉ. डीएस फोगाट, डॉ. योगेश जिंदल, डॉ. आरएन अरोड़ा, डॉ. एसके पाहुजा, डॉ. एनके ठकराल की टीम ने काम किया। इसके अलावा डॉ. एलके मिढ़ा, डॉ. एसके गांधी, डॉ. आरएस श्योराण, डॉ. अनिल गुप्ता व डॉ. यूएन जोशी का भी विशेष सहयोग रहा है।
हरियाणा के लिए भेजा जाएगा प्रपोजल
आनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के चारा अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. डीएस फोगाट ने बताया कि इन किस्मों को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में परीक्षण के तौर पर लगाया गया था, जहां इसके बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसलिए यहां किसानों के लिए भी इसकी सिफारिश संबंधी प्रपोजल जल्द ही कमेटी को भेजा जाएगा।
प्रति हेक्टेयर 514 क्विंटल चारा
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने बताया कि इस किस्म में हरे चारे की उपज 513.94 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व सूखे चारे की उपज 114.73 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है। इससे लगभग 15.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बीज प्राप्त किया जा सकता है। इसी प्रकार ओएस 424 किस्म में हरे चारे की पैदावार 296.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व सूखे चारे की पैदावार 65.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आंकी गई है। ओएस 424 किस्म से लगभग 13.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बीज प्राप्त किया जा सकता है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों द्वारा इस उपलब्धि पर बधाई दी और भविष्य में भी निरंतर प्रयासरत रहने का आह्वान किया।