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सूक्ष्म जीव कर सकते हैं फसल अवशेष की समस्या का समाधान : काम्बोज

हिसार, 14 नवंबर (हप्र) गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार (गुजविप्रौवि) में एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट इंडिया (एएमआई) के 65वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि पहले समय...
हिसार में गुजविप्रौवि में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते मुख्यातिथि प्रो. बी.आर. काम्बोज। -हप्र
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हिसार, 14 नवंबर (हप्र)

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार (गुजविप्रौवि) में एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट इंडिया (एएमआई) के 65वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि पहले समय में सूक्ष्म जीवों को केवल बीमारियों को पैदा करने वाला समझा जाता था, परंतु अब इनको बीमारियों को ठीक करने का माध्यम समझा जाता है। भारत में सूक्ष्म जीवों को अपने स्वास्थ्य को सुधारने के लिए व बीमारियों को पहचानने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। वर्ममान समय में फसल अवशेष जलाना ज्वलंत समस्या है। समस्या के समाधान में सूक्ष्म जीव अहम भूमिका निभा सकते हैं।

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मानव कल्याण के लिए सूक्ष्मजीवों के परिप्रेक्ष्य विषय पर इस चार दिवसीय सम्मेलन का आयोजन गुजविप्रौवि, एएमआई व एकेडमी ऑफ माइक्रोबायोलॉजिकल साइंसिज (एएमएससी) के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार के मुख्य हॉल में हुए इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई इस सम्मेलन में मुख्य संरक्षक के रूप में उपस्थित रहे। इसकी अध्यक्षता इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) कोलकाता के निदेशक एवं एएमआई के अध्यक्ष प्रो. एसके खरे तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, महेन्द्रगढ़ के पूर्व कुलपति एवं एएमएससी के अध्यक्ष प्रो. आरसी कुहाड़ ने की। सम्मेलन में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर संरक्षक के रूप में उपस्थित रहे। समारोह में अतिथियों द्वारा सम्मेलन की विवरणिका का विमोचन किया गया।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने कहा कि प्राचीन समय से ही सूक्ष्म जीवों की सहायता से फरमेंटिड फूड निर्मित किया जा रहा है, जोकि हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है। उन्होंने दही का उदाहरण देते हुए बताया कि लेक्टिक एसिड बैक्टीरिया की मदद से हम दही तैयार करते हैं। बायो फर्टिलाइजर्स मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अत्यंत लाभदायक हैं। इससे किसानों पर ज्यादा आर्थिक भार भी नहीं पड़ता है। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के नाम पर स्थापित गुजविप्रौवि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अच्छा काम कर रहा है। विश्वविद्यालय सूक्ष्म जीवों के क्षेत्र में अग्रणीय योगदान दे रहा है। प्रो. एस.के. खरे ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में हम अनेक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने बताया कि वर्तमान परिदृश्य में इस सम्मेलन का विषय अत्यंत प्रभावी एवं महत्वपूर्ण है।

संयोजक प्रो. अनिल कुमार ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि यह सम्मेलन केवल वैज्ञानिक चर्चा नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए शोध एवं अनुसंधान को प्रेरित करेगा। प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने कहा कि गुजविप्रौवि हिसार में एएमआई का यह पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है। हरियाणा में अब तक पांच अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है और हरियाणा में एएमआई के अधिकतम सम्मेलनों का आयोजन किया गया है।

बिश्नोई सहित 3 को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड

अवार्डी सत्र में एएमआई की ओर से विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई, डा. कमला चौधरी व प्रो. प्रवीन रिशी को शिक्षण एवं शोध के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। आईएआरआई नई दिल्ली की प्रो. लिवलीन शुकला को एएमआई जीएस रंगास्वामी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। आईएआरआई नई दिल्ली से प्रो. सुनील पाबी व एआईआईएमएस भोपाल की पूर्व निदेशक डा. सरमन सिंह को फेलो ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट साइंटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया।

35 देशों के 50 वक्ता ले रहे हिस्सा

संयोजन सचिव प्रो. नमिता सिंह ने बताया कि सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, साउथ अफ्रीका, मलेशिया, आस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया, आयरलैंड, डेनमार्क, हॉलैंड, यूएई, उजबेकिस्तान इजराइल, चिल्ली, कुवैत सहित 35 देशों के 50 से अधिक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय वक्ता भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में पांच पदम भूषण, छह पद्मश्री व चार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार विजेता शामिल होंगे।

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