रोहतक, 1 मई (हप्र)
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वैश्विक रिपोर्ट में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) द्वारा स्थापित जिनोम सीक्वेंसिंग कार्य का विशेष उल्लेख किया है। मदवि के शोध निदेशक प्रो. एके छिल्लर ने बताया कि भारत में ग्रासरूट स्तर पर जिनोमिक सीक्वेंसिंग कार्य में मदवि के माइक्रोलैब की भूमिका अहम रही। इस कार्य से कोविड वैरियंट्स के म्यूटेशन पर भी नजर रखी जा सकी है। विशेष रूप से ग्रामीण अंचल में कोविड संबंधित सैंपल के सीक्वेंसिंग योजना-निर्धारण में लाभदायक रहेगा, ऐसा उल्लेख डब्ल्यूएचओ की नवीनतम रिपोर्ट में किया गया है। मदवि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने इस एडवांस्ड नेक्स्ट जेन जीनोम सीक्वेंसिंग लैबोरेट्री को उल्लेखनीय कार्य के लिए बधाई दी। कुलपति ने कहा कि इस लैब के जरिए विश्वविद्यालय जन समुदाय के कल्याण के लिए सतत प्रयास कर रहा है। पूरे भारत में एमडीयू समेत केवल तीन संस्थान में माइक्रो लैब के जरिए जीनोम सीक्वेंसिंग का कार्य प्रशस्त हुआ।