Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

एमबीबीएस डॉ. तरुण पाहवा को चौथे प्रयास में सफलता, 231वां रैंक

नहीं ली कोचिंग, सोशल मीडिया से रखी दूरी

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
चरखी दादरी में मंगलवार को यूपीएससी में सफलता मिलने पर डाॅ. तरुण पाहवा के घर खुशियां मनाते परिजन। -हप्र
Advertisement

चरखी दादरी, 16 अप्रैल (हप्र)

चरखी दादरी निवासी डाॅ. तरुण पाहवा ने सिविल सेवा परीक्षा में चौथे प्रयास में 231वां रैंक हासिल किया है। 27 वर्षीय डॉ. तरुण ने तीन साल की मेहनत से यह मुकाम पाया है और मंगलवार को उनके घर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। तरुण ने बिना कोचिंग घर पर तैयारी की, वहीं सोशल मीडिया से दूरी बनाये रखी।

Advertisement

रोहतक पीजीआई से एमबीबीएस कर चुके डॉ. तरुण के पिता ललित और मां संतोष देवी रिटायर्ड शिक्षक हैं। उनसे ही प्रेरणा लेते हुए उन्हें सिविल सर्विसेज में जनसेवा करने का फैसला किया। लगातार तीन प्रयासों के दौरान इंटरव्यू तक पहुंचने के बाद सफलता नहीं मिली तो भी उन्होंने हार नहीं मानी।

Advertisement

तरुण ने बताया कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष के दौरान ही सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी थी। चौथे प्रयास में सफलता मिलने पर दिल का सुकून मिला है। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान रोज सात से आठ घंटे दो शिफ्ट में पढ़ाई की। कंटेंट जुटाने के लिए यूट्यूब से मदद जरूर ली, लेकिन फेसबुक, इंस्टाग्राम से दूरी बनाकर रखी।

फिलहाल एमसी कॉलोनी निवासी तरुण पाहवा का परिवार शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा है। उनकी मां रिटायर्ड मुख्याध्यापिका संतोष पाहवा बेटे की सफलता से गदगद हैं। वह कहती हैं कि तरुण ने उन्हें जीवन की सबसे बड़ी खुशी

दी है। तरुण के पिता व विज्ञान विषय के रिटायर्ड शिक्षक ललित पाहवा कहते हैं कि यह कामयाबी बेटे की मेहनत की बदौलत है। तरुण ने बिना कोचिंग लिए घर पर रहकर ही पढ़ाई की। पहले तीन प्रयास विफल रहने के बाद भी हौसला नहीं हारा और आज परिणाम सामने है।

Advertisement
×