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हरियाणा में मैच फिक्सरों, सट्टेबाजों की खैर नहीं

* 158 साल पुराने कानून की जगह नया विधेयक पेश, सात साल तक की सजा का प्रावधान * सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी करेंगे जांच, बिना वारंट गिरफ्तारी * सट्टेबाजी के मामलों में बार-बार पकड़े जाने पर कठोर सजा...
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* 158 साल पुराने कानून की जगह नया विधेयक पेश, सात साल तक की सजा का प्रावधान

* सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी करेंगे जांच, बिना वारंट गिरफ्तारी

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* सट्टेबाजी के मामलों में बार-बार पकड़े जाने पर कठोर सजा के प्रावधान

दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 18 मार्च

हरियाणा की नायब सरकार अंग्रेजों के समय से चले आ रहे सट्टेबाजी से जुड़े 158 वर्ष पुराने कानून को खत्म करने जा रही है। 1867 में बनाए गये कानून की जगह अब ‘हरियाणा सार्वजनिक जुआ रोकथाम विधेयक-2025’ लेगा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को विधानसभा में यह विधेयक पेश किया। बजट सत्र के अगले दिनों में चर्चा के बाद इसे पारित किया जाएगा। इसके बाद हरियाणा में यह सख्त कानून लागू होगा।

मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग तथा खेलों व चुनावों में सट्टा लगाने वाले लोगों एवं सिंडिकेट से सख्ती से निपटने के प्रावधान विधेयक में किए गये हैं। इसमें एक से सात साल तक की जेल और पांच लाख रुपये तक के जुर्माना की सजा का प्रावधान है।

विधेयक में सट्टेबाजी के मामलों की अलग-अलग कैटेगरी परिभाषित की गयी है। मसलन, पहली बार अपराध करने पर कितनी सजा और जुर्माना होगा। दूसरी बार या दो से अधिक बार वही अपराध करने के मामलों में सजा बढ़ेगी। पुलिस को भी बड़े अधिकार दिए गये हैं। सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी ही इस तरह के मामलों की जांच कर सकेंगे। कार्यकारी मजिस्ट्रेट या राजपत्रित पुलिस अधिकारी सट्टेबाजी की विश्वसनीय सूचना मिलने के बाद सब-इंस्पेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को किसी स्थान पर प्रवेश करने या सट्टेबाजी में शामिल लोगों की तलाशी लेने के लिए अधिकृत कर सकेंगे। पुलिस अधिकारी किसी भी व्यक्ति को वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकेंगे। मौके से नकदी व अन्य सामग्री भी जब्त हो सकेगी।

इसलिए नया कानून जरूरी : 1867 से चले आ रहे कानून को निरस्त करने की सिफारिश भारत के विधि आयोग द्वारा की जा चुकी है। राज्यों को अपना कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। अंग्रेजों के समय बनाया गया कानून औचित्यहीन हो गया है। अब कंप्यूटर, मोबाइल फोन सहित दूसरी कई ऐसी आधुनिक सुविधाएं व उपकरण हैं, जिनके जरिये मैच फिक्सिंग, स्पॉट फिक्सिंग तथा खेलों व चुनाव आदि पर सट्टा लगाया जाता है। सरकार का मानना है कि सट्टेबाजी करने वाले सिंडिकेट आम जनता के पैसों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उनसे निपटने के लिए कड़ा कानून बनाने की जरूरत महसूस की जा रही थी।

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