ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 16 अप्रैल
पंजाब और हरियाणा के बीच दशकों से चले आ रहे विवाद में अब आम आदमी पार्टी की भी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। नई दिल्ली के बाद पंजाब में आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत से सरकार बना चुकी है। सतलुज यमुना लिंक नहर, हांसी-बुटाना नहर तथा राजधानी चंडीगढ़ पर अधिकार के मुद्दों पर हरियाणा में आप को अपना स्टैंड स्पष्ट करना होगा। पंजाब सीएम भगवंत मान द्वारा विधानसभा में चंडीगढ़ पर एकाधिकार को लेकर पास किए गए प्रस्ताव ने आप के सामने चुनौतियों को डबल कर दिया है।
पंजाब सरकार के फैसले के खिलाफ हरियाणा विधानसभा में सभी दल एकजुट होकर प्रस्ताव पास कर चुके हैं। साथ ही, हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन के अलावा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस व इनेलो नेताओं को भी आप ने हरियाणा के लिए बड़ा मुद्दा दे दिया है। एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी हरियाणा के पक्ष में आ चुका है। इससे पहले भी जब 2017 में पंजाब के विधानसभा चुनावों में केजरीवाल प्रचार कर रहे थे तो उन्होंने पानी के मुद्दे पर पंजाब का पक्ष लिया था। इस बार पंजाब के चुनावी नतीजों से पहले तक हरियाणा में आम आदमी पार्टी का कोई आधार नहीं था। पंजाब में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद हरियाणा में सक्रियता बढ़ गई है। ऐसे में अब हरियाणा में आप को ‘कामयाबी’ हासिल करने के लिए इन मुद्दों का स्थाई समाधान देना होगा। कहने को तो हरियाणा मामलों के प्रभारी सुशील गुप्ता कह रहे हैं कि हरियाणा में आप की सरकार बनने के बाद दोनों राज्यों के बीच चल रहे विवाद का हल निकालेंगे, लेकिन पंजाब की मान सरकार द्वारा लिए गए स्टैंड पर उनके पास भी कोई जवाब नहीं है। एसवाईएल नहर निर्माण करवा पाना इतना आसान काम भी नहीं है। 2016 में जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के समर्थन में आया तो उस समय पंजाब में अकाली दल-भाजपा गठबंधन सरकार ने विधानसभा में नहर के लिए अधिगृहीत की गई किसानों की जमीन को डि-नोटिफाई कर दिया था। इतना ही नहीं, यह जमीन किसानों को वापस भी लौटा दी गई। इसी तरह से राजधानी चंडीगढ़ के मुद्दे पर दोनों राज्यों के बंटवारे के समय से ही टकराव है। दूसरी बार बात यह है कि पानी के मुद्दे पर दिल्ली सरकार और हरियाण के बीच पिछले कई वर्षों से विवाद चल रहा है। नई दिल्ली में हरियाणा से पानी जाता है। गर्मियों के दिनों में पानी की डिमांड बढ़ने के बाद दिल्ली सरकार हमेशा यह आरोप लगाती रही है कि हरियाणा से उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा।
इस बार और बढ़ेगा विवाद
गर्मियां इस बार समय से पहले आ गई हैं। पानी के साथ बिजली की डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार पानी के मुद्दे पर फिर से हरियाणा के साथ उलझे। इस बार यह विवाद और भी बढ़ सकता है। कारण साफ है क्योंकि अब नई दिल्ली के साथ पंजाब में भी आप की सरकार है। ऐसे में हरियाणा को दिल्ली पर यह दबाव बनाने का मौका मिलेगा कि वह पंजाब सरकार से कहे कि नहर निर्माण करने दे ताकि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिल सके। हरियाणा को पानी मिलेगा तो दिल्ली में भी परेशानी नहीं आएगी।