जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 17 मई
जिला की मंडिया खाली पड़ी हैं लेकिन केंद्र व राज्य सरकार द्वारा गेहूं की सरकारी खरीद को 31 मई तक बढ़ाए जाने की घोषणा को आढ़ती हास्यास्पद बताते हुए तंज कस रहे हैं। वे कहते हैं कि अब ये गेहूं आसमान से आएगी या सरकार किसी फैक्टरी में बनाएगी क्योंकि सरकार ने समय रहते तो उनकी मांग मानी नहीं।
आज अम्बाला में आवक की कोई अधिकृत जानकारी नहीं है। कृषि के जानकारों का कहना है कि गेहूं का वर्तमान सीजन काफी पहले ही समाप्त हो चुका है।
जब मौसम की मार के कारण कम फसल होने की संभावना जताते हुए आढ़तियों ने सरकार से पंजाब का गेहूं सीमांत मंडियों में आने की इजाजत मांगी थी तो उसे कड़ाई से नकार दिया गया था। केंद्र द्वारा गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाने से अब लोकल मार्केट में गेहूं के दाम बढ़ने बंद हो चुके हैं बल्कि बढ़े दाम वापसी की ओर हैं। ऐसे में यदि किन्हीं किसानों ने अपने खाने के अलावा कहीं थोड़ी गेहूं का भंडार कर भी लिया होगा तो उसकी मात्रा इतनी नहीं है कि सरकार के भंडार भर सकें। आढ़ती यूनियन के प्रदेश संरक्षक दूनीचंद दानीपुर, अम्बाला शहर मार्केट कमेटी के निर्वतान वाइस चेयरमैन भारत भूषण अग्रवाल सहित कई आढ़तियों ने बताया कि सरकार के सलाहकार ही गलत हैं जो उसे गेहूं खरीद की समय सीमा सीजन के बाद बढ़ाने को कह रहे हैं। ऐसे सलाहकारों से सरकार को बचना चाहिए। यही लोग सरकार और आढ़तियों व किसानों के बीच खाई पैदा करते हैं।
आढ़तियों को आढ़त और श्रमिकों को लेबर का भुगतान नहीं
गेहूं सीजन के दौरान सरकार ने आढ़तियों को न तो आढ़त का भुगतान किया है और न ही श्रमिकों को उनकी मेहनत का भुगतान ही मिला। आढ़ती यूनियन के प्रदेश संरक्षक दूनीचंद दानीपुर ने बताया कि श्रमिक तो अपनी पेमेंट लेकर वापस अपने देस जा चुके हैं लेकिन उनको भी भुगतान आढ़तियों को देना पड़ा जिनके इस सीजन में दुकान के खर्च भी पूरे नहीं हुए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 31 मई तक उनके बकाया भुगतान नहीं मिले तो वे धान सीजन के लिए रणनीति बनाने को मजबूर हो जाएंगे।
जिला की किसी मंडी या खरीद केंद्र पर गेहूं आवक की सूचना नहीं मिली है। सरकार के निर्देशानुसार 31 मई तक आने वाली गेहूं को एजेंसियां खरीद जरूर करेंगी। अब वही गेहूं मंडी में आने की उम्मीद है जिसे किसानों ने भंडार कर लिया होगा।
-निशांत राठी, डीएफएससी अम्बाला