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मुख्य आरोपी पटवारी गिरफ्तार, चार दिन के रिमांड पर

बहुचर्चित फर्जी मुआवजा वितरण कांड
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जिला पुलिस ने फसलों के मुआवजा वितरण घोटाले में मुख्य आरोपी पटवारी को गिरफ्तार किया है, जिसकी पहचान गांव काजल हेड़ी के राजिंद्र कुमार के रूप में की गई है। आरोपी पटवारी उस समय से ही गांव बड़ोपल का पटवारी है। पुलिस ने शनिवार को उसे अदालत में पेश किया। अदालत ने उक्त पटवारी को चार दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया है। इससे पहले पुलिस ढाणी मियां खान के कमलजीत को गिरफ्तार कर चुकी हैं, जो उक्त राजेंद्र पटवारी के पास ही सहायक के तौर पर कार्य करता था।

याद रहे कि वर्ष 2021 में जिले के करीब एक दर्जन गांवों में खराब हुई फसल के मुआवजा वितरण में अधिकारियों ने करोड़ों का गबन किया था। इसमें से गांव बड़ोपल, चिंदड़, खारखेड़ी की जांच मुख्यमंत्री उड़न दस्ते ने की थी। डेढ़ साल तक जांच रिपोर्ट दबाने के बाद करीब अढ़ाई महीने पहले 30 मई को मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में 27 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसमें तत्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार, 5 कानूनगो, पटवारी, उनके सहयोगी सहित 27 लोगों को आरोपी बनाया गया था। पुलिस मामला दर्ज करने के करीब 83 दिन बाद मात्र दो आरोपियों गिरफ्तार कर पाई है।

इकोनॉमिक सैल प्रभारी संदीप कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री उड़नदस्ता की जांच में सामने आया कि गांव बड़ोपल में पटवारी राजेंद्र प्रसाद, कुछ कानूनगो, नायब तहसीलदार और तत्कालीन तहसीलदार रणविजय सुल्तानियां ने निजी सहायकों व अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत से किसानों के बीमा क्लेम और मुआवजा राशि में भारी गड़बड़ी की।

जांच में यह भी पाया गया कि खरीफ 2021 में खराबा फसल की क्षतिपूर्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा गांव बड़ोपल के किसानों को 4.25 करोड़ की राशि जारी की गई थी। मुआवजा वितरण सूची में कई स्थानों पर फर्जी नाम, गलत बैंक खाता नंबर, और गैर-हकदार व्यक्तियों को अवैध रूप से बड़ी रकम जारी की गई।

इस धोखाधड़ी में कमलजीत, राहुल, सुरजीत, सुन्दर उर्फ बिल्ला समेत कई निजी व्यक्तियों ने सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी खातों के माध्यम से लाखों रुपये की अवैध निकासी की। ये लोग पात्र सूची में भी शामिल नहीं थे। जांच में यह भी सामने आया कि विभिन्न खातों में बार-बार अनुचित लाभ पहुंचाया गया और करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई। उक्त पटवारी पर मुआवजे का पैसा अपने नाते-रिश्तेदारों को फर्जी किसान दिखाकर उनके खातों में डालने का आरोप है। पुलिस के अनुसार रिमांड के दौरान पटवारी से काफी जानकारी मिलने की संभावना है।

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