जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 23 मई
अम्बाला में बनने वाला भगवान वामन का मंदिर सात साल में भी नहीं बन पाया। इस दौरान परियोजना का बजट 3 करोड़ से साढ़े 32 करोड़ तक पहुंच गया। जिस नौरंगराय तालाब (सरोवर) पर इसका निर्माण होना है उसका भगवान वामन से जुड़ा होने के साथ-साथ ऐतिहासिक पहलू महाभारत से भी जुड़ा हुआ है।
यह भगवान वामन का इकलौता भव्य मंदिर बन रहा है। इसके बनने से अम्बाला के एक धार्मिक पर्यटल स्थल के रूप में विकसित होगा। पर्यटकों के साथ-साथ शहरवासियों और बाहर से आने वाले लोगों के लिए भी रमणीक स्थान उपलब्ध होगा। श्रद्धा और आस्था के प्रतीक नवरंगराय तालाब की महत्ता को देखते हुए इसके जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 2015 में घोषणा 3 करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी। बाद में योजना में बदलाव करके इसे भगवान वामन की भव्य मंदिर बनाने की योजना बनी और बजट में बदलाव करते हुए इसे 12 करोड़ कर दिया गया। सितंबर 2017 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा ने नवरंगराय तालाब के जीर्णोद्धार के कार्य का आरंभ किया था, जिसे 18 महीने यानी मार्च 2019 में पूरा होना था। तब तक इस पर 11.77 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की जा चुकी थी। इसके बाद योजना में कई बदलाव होने से अनुमानित लागत बढ़कर 32.50 करोड़ हो गई जिसकी आज तक स्वीकृति सरकार से नहीं मिली और काम अधूरा पड़ा है। नवरंगराय तालाब पर 135 साल से राज्यस्तरीय वामन द्वादशी का मेला लगाता आ रहा था। यहां प्रदेशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं, जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण कार्य के चलते पिछले 6 साल से भव्य मेला आयोजित नहीं हो सका जिससे श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं।
ये है योजना
योजना के अनुसार सरोवर के चारों ओर परिक्रमा के लिए कॉरिडोर तैयार किया गया है। ठाकुरद्वारे के सामने की दिशा में एक स्क्रीन दीवार का भी निर्माण करवाया जाना है जिस पर विशेष कार्यक्रमों में प्रोजेक्टर के माध्यम से नौरंगराय सरोवर के इतिहास के अलावा धार्मिक व ऐतिहासिक ज्ञान पर आधारित अन्य फिल्में भी प्रदर्शित की जा सकेंगी। सरोवर के बीचोंबीच एक पुल तैयार किया जा रहा है। लगभग 300 फुट लंबे और 20 फुट चौड़े इस पुल के दोनों ओर 8 रंगीन फव्वारे लगाए जाएंगे और आकर्षक लाइटों का भी प्रबंध किया जाएगा। यह पुल बनाने के लिए सीमेंटेड नींव डालने का कार्य पूरा किया जा चुका है। यही नहीं सरोवर में स्नान के लिए 6 घाट तैयार किये जा रहे हैं। सरोवर के पूर्व और पश्चिम की तरफ दो प्रवेश द्वार भी बनाये गए हैं।