जींद मेडिकल कॉलेज में ओपीडी सेवाओं के लिए लंबा होता इंतजार
जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 11 अक्तूबर
हैबतपुर गांव में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में इस साल दिसंबर महीने की बात तो दूर, अगले साल जनवरी महीने तक भी ओपीडी सेवाएं शुरू हो पाना मुश्किल दिखाई दे रहा है। कारण यह है कि अभी तक मेडिकल कॉलेज में निदेशक की नियुक्ति तक नहीं हुई है। प्रथम चरण का जो निर्माण कार्य पूरा हुआ है, उसमें भी अभी इंटरनल फिटिंग और अन्य कार्य पूरे होने हैं। इसी बीच मेडिकल कॉलेज की लगभग 27 एकड़ पंचायती जमीन मेडिकल शिक्षा विभाग के नाम ट्रांसफर हो गई है।
गांव हैबतपुर की पंचायती जमीन पर 700 करोड़ से ज्यादा की लागत से मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है। परियोजना के प्रथम चरण में लगभग 500 करोड़ रुपए से निर्माण कार्य लगभग पूरे हो चुके हैं। यहां ओपीडी सेवाएं शुरू करने के लिए बहुत कुछ किया जाना है। इसमें सबसे अहम मसला ओपीडी कक्षों में बिजली से लेकर कंप्यूटर आदि की इंटरनल फिटिंग आदि से जुड़ा हुआ है। ओपीडी सेवाओं के लिए कई तरह के जांच उपकरणों की जरूरत पड़ेगी। अभी तक मेडिकल कॉलेज में केवल ओपीडी रूम की दीवार खड़ी की गई हैं। इनमें इंटरनल फिटिंग और मरीजों की जांच और उपचार के लिए जरूरी उपकरणों की व्यवस्था अभी होनी है। जरूरी उपकरणों की खरीद और स्टाफ की नियुक्ति निदेशक को करनी है। अभी तक मेडिकल कॉलेज में निदेशक की नियुक्ति ही नहीं हो पाई है। निदेशक की नियुक्ति के बाद ही ओपीडी सेवाएं शुरू करने की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।
जींद मेडिकल कॉलेज के निर्माण की घोषणा साल 2014 में सीएम ने की थी। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने इस साल सितंबर में ओपीडी सेवाएं शुरू किए जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे, मगर यह संभव नहीं हो पाया।
4 ट्यूबवेल लगेंगे : मेडिकल कॉलेज में पीने के पानी की अस्थाई व्यवस्था के तहत 4 ट्यूबवेल हांसी ब्रांच नहर के पास हूडा के जलघर परिसर में लगेंगे। इस पर लगभग 80 लाख रुपए की राशि खर्च होगी। अभी तक ट्यूबवेल लगाने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है।
सीएम से दो बार हो चुकी बात : मिड्ढा
मेडिकल कॉलेज में ओपीडी सेवाएं शुरू किए जाने में हो रही देरी को लेकर जींद के भाजपा विधायक डॉ कृष्ण मिड्ढा का कहना है की सीएम से इस मसले पर दो बार बात हो चुकी है। जनवरी में ओपीडी सेवाएं शुरू करवाने का पूरा प्रयास रहेगा।