Lok Sabha : दीपेंद्र हुड्डा बोले- वंदे मातरम की आड़ में ‘वंदे वोटरम’ कर रही BJP
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूर्ण होने पर सोमवार को लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान कहा कि वंदे मातरम की आड़ में बीजेपी वंदे वोटरम का प्रयास कर रही है। वंदे मातरम की भावना देश को एकजुट करना है, विघटित करना नहीं।
वंदे मातरम उस विराट आंदोलन का उद्घोष है, जिसने धर्म, जाति और प्रांत की सीमाओं को लांघकर देश को एक किया था। आजादी की लड़ाई और भारतीयता के आध्यात्मिक इतिहास में इसका स्थान अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि जब हम ये गीत गाते हैं तो इसमें देश की मिट्टी की सुगंध आती है, स्वतंत्रता संग्राम की आवाज सुनाई देती है, देश पर जान कुर्बान करने वाले लाखों शहीदों के चेहरे नजर आते हैं। पिछले 75 वर्षों में आजाद भारत की गौरव गाथा का परिचय मिलता है और भारतवर्ष के स्वर्णिम भविष्य के सपने संजोए जाते हैं।
वंदे मातरम एक गीत ही नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिए एक महामंत्र है। उन्होंने वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर मांग की कि इसकी रचना करने वाले ऋषि बंकिम बाबू की प्रतिमा संसद भवन में स्थापित की जाए। सरकार इसकी घोषणा करे, वे सबसे पहले इसका स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में वंदे मातरम् ऐसा नारा है, जिसने सारे देश को एकजुट किया।
अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की रणनीति को विफल किया व जन-जन की आवाज बना। अंग्रेजी हुकूमत बांटो और राज करो की रणनीति के आधार पर सांप्रदायिकता, धर्म, जाति, भाषा, भूषा के भेदभाव पर अपनी हुकूमत चलाना चाहते थे, वंदे मातरम ऐसा महामंत्र है, जिसने देश को एकता के सूत्र में बांधा उस पवित्र गीत का दुरुपयोग कम से कम से नफरत के स्रोत के रूप में नहीं होना चाहिए। दीपेन्द्र ने कहा कि आज कुछ लोग मां की वंदना में भी विवाद ढूंढते हैं।
