विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 जुलाई
हरियाणा-हिमाचल के लोगों के मुकाबले पंजाब के लोगों का लिवर ‘कमजोर’ है। पीजीआई चंडीगढ़ में लिवर का इलाज कराने वाले सबसे ज्यादा पंजाब के लोग हैं। पीजीआई के विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा अल्कोहल पीने के वजह से ऐसा होता है। विशषज्ञों ने यह भी खुलासा किया कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में भी लिवर का इलाज कराने वाले ज्यादा पंजाब के लोग ही हैं। इसके अलावा पंजाब के ज्यादातर लोग लिवर सिरोसिस की चपेट में भी हैं। जब लिवर में फैट यानी वसा जमा होने लगता है तो उसकी वजह से लिवर डैमेज होना शुरू हो जाता है। इस समय पीजीआई में 50 लोगों को लिवर का इंतजार हैं। डोनर नहीं होने की वजह से कई मरीज इंतजार में ही दम तोड़ देते हैं। पीजीआई के विशेषज्ञों ने लोगों से आह्वान किया कि ज्यादा से ज्यादा लोग अंगदान करें ताकि मरीजों की जान बचाई जा सके।
पीजीआई चंडीगढ़ में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दो टीमें काम कर रही हैं। सर्जिकल गेस्ट्रोलॉजी विभाग ने जुलाई 2021 में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू किया था। अब तक टीम 8 मरीजों का लिवर प्रत्यारोपण कर चुकी है। इनमें से 4 मरीजों ने बताया कि अब वे पहले की तरह जिंदगी जी रहे हैं। इनमें बीएसएफ का जवान एन हल्फनगर (40), पंजाब पुलिस से रिटायर इंस्पेक्टर हरविंद्र कुमार (61), हिमाचल के टीचर अविनाश चंद्र (42) और एक 20 वर्षीय युवक शामिल था। सभी ने बताया कि उन्हें नयी जिंदगी मिल गई है।
95 मरीजों के लिवर का प्रत्यारोपण
पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विपिन कौशल, प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह, प्रोफेसर टीडी यादव, प्रो़ हरजीत और प्रोफेसर विकास ने बताया कि लिवर प्रत्यारोपण का काम सर्जिकल गेस्ट्रोलॉजी, हेपेटोलॉजी, नेफरालॉजी, रेडियोलॉजी, एंथिसिया और माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग की टीम मिलकर करती हैं। पीजीआई में लिवर प्रत्यारोपण के लिए कोई कार्यक्रम नहीं है। सभी विभागों के डॉक्टरों अपने कार्यों के अलावा लिवर प्रत्यारोपण के काम को अंजाम देते हैं। प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि प्रत्यारोपण के बाद 80 से 85 प्रतिशत मरीज स्वस्थ हो जाते हैं। 2011 से अभी तक पीजीआई में 95 मरीजों के लिवर का प्रत्यारोपण किया जा चुका है। इनमें 64 ब्रेन डेड घोषित मरीजों से प्राप्त किए हैं।
सभी मेडिकल कॉलेजों में बने ब्रेन डेड डिक्लेरेशन टीम
विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के जितने भी मेडिकल कॉलेज हैं, वहां ब्रेन डेड डिक्लेरेशन टीम होनी चाहिए ताकि सूचना मिलने पर ज्यादा से ज्यादा मरीजों के लिवर का प्रत्यारोपण कर मरीजों की जान बचाई जा सके। इस समय पीजीआई में प्रत्यारोपण कराने का खर्च 8 से 10 लाख और निजी अस्पतालों में 45-50 लाख रुपए हो जाते हैं।
इन अंगों का प्रत्यारोपण
किडनी 475
लिवर 95
दिल 27
पैनक्रियाज 35
लंग्स 4
कॉर्निया 6375