विनोद लाहोट/निस
समालखा, 16 अप्रैल
नवरात्र पर्व के अंतिम दिन ‘दैनिक ट्रिब्यून’ के ‘कर्मठ कन्याएं’ कॉलम में आज जानिए समालखा की जाह्नवी पंवार के बारे में। अपने नाम के अनुरूप जाह्नवी ज्ञान की गंगा में सराबोर हैं। महज 12 साल की उम्र में ‘वंडर गर्ल’ का खिताब पा चुकी इस कन्या ने 18 वर्ष की आयु में अंग्रेजी भाषा में एमए कर लिया। इसके बाद असिस्टेंट प्रोफेसर बन कर पानीपत इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (पाइट) कालेज में सेवाएं दे रही हैं। विलक्षण प्रतिभा की धनी जाह्नवी इस चुनाव में पहली बार मताधिकार का प्रयोग करेंगी।
समालखा के मालपुर गांव में वर्ष 2003 में जन्मी जाह्नवी बचपन से ही मेधावी रहीं। आलम यह है कि वह आईएएस अफसरों को भी व्याख्यान देती हैं। उनका पहला लेक्चर बॉम्बे इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और 150 आईएएस अधिकारियों के सामने हुआ था। उस दौरान सभी अधिकारियों ने जाह्नवी को ‘स्टैंडिंग ओवेशन’ दी। उन्हें तत्कालीन सीएम ने सम्मानित भी किया। महज 10 साल की उम्र में जाह्नवी ने 9 भाषाएं सीख ली थीं। इनमें अंग्रेजी, फ्रेंच, जापानी और स्पैनिश शामिल हैं। सहपाठी जब स्कूल जा रहे थे, जाह्नवी दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने लगी थीं। असल में अनूठी प्रतिभा के चलते जाह्नवी को कुछ कक्षाओं में ‘डबल जंप’ मिला। शुरू-शुरू में जब जाह्नवी ने अपनी भाषा के साथ अंग्रेजी सीखने पर फोकस किया तो कुछ ने ताने मारे, ‘अंग्रेजन क्यों बन रही हो।’ लेकिन जाह्नवी इससे रुकी नहीं, उन्होंने कुछ चैनल देखने शुरू किए, निरंतर अभ्यास किया और उच्चारण बेहतरीन कर लिया। आलोचनाओं को सकारात्मक तौर पर लेते हुए जाह्नवी देखते-देखते अंग्रेजी बोलने, समझने और लिखने में माहिर हो गयीं। जाह्नवी के पिता बृजमोहन बताते हैं कि जब उनकी बच्ची महज एक साल की थी, तभी वह अंग्रेजी के 500 तक शब्दों को जान गयी थीं। तीन साल की उम्र में नर्सरी के बजाय सीधे सीनियर केजी में दाखिला मिला। बाद में स्कूल से एक ही साल में दो कक्षाएं पास करने की विशेष अनुमति मिल गयी।
13 की उम्र में बीबीसी ने एक शो में बुलाया महज 13 साल की उम्र में जाह्नवी को बीबीसी पर एक शो के लिए आमंत्रित किया गया था। जाह्नवी आईआईटी विद्यार्थियों को भी लेक्चर दे चुकी हैं। वह मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। जाह्नवी पंवार की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान के दौरान समालखा नगरपालिका ने उन्हें अपना ब्रांड अम्बेसडर भी बनाया। यही नहीं, यूके की एक सामाजिक संस्था एमआरएफए फाउंडेशन भी उन्हें ब्रांड अंबेसडर बना चुकी है।