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'पोर्टल का झमेला छोड़ें, किसानों को मिले 70 हजार मुआवजा', हुड्डा बोले - बाढ़ से 18 लाख एकड़ फसल तबाह, 6000 गांव प्रभावित

सरकार के संरक्षण में खनन माफिया ने बर्बादी को बढ़ाया
शुक्रवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा।
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Haryana News : पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बाढ़ प्रभावित किसानों के मुआवजे को लेकर हरियाणा सरकार पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लाखों किसान भीषण तबाही का सामना कर रहे हैं, लेकिन सरकार राहत पहुंचाने की बजाय पोर्टल के चक्कर में किसानों को उलझा रही है। हुड्डा ने मांग की कि पीड़ित किसानों को कम से कम 70 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए।

शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास पर मीडिया से बातचीत में पूर्व सीएम ने कहा कि इस बार हालात 1995 में आई बाढ़ से भी कहीं ज्यादा खराब हैं। उन्होंने बताया कि करीब 18 लाख एकड़ फसल पानी में डूब गई है, जबकि 6000 गांव, 11 शहर और 72 कस्बे बाढ़ की चपेट में आए हैं। अब तक 4 लाख किसान पोर्टल पर फसल खराबे की जानकारी अपलोड कर चुके हैं, लेकिन पीड़ितों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है।

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पूर्व सीएम ने कहा कि यमुना से लगते इलाके पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। धान, गन्ना और अन्य फसलें नष्ट हो गईं। गन्ने की फसल जड़ों से उखड़ गई, धान जलभराव में सड़ गया और खेतों में इतना रेत भर गया कि अगली फसल लेना भी मुश्किल हो गया है। हुड्डा ने दावा किया कि अवैध खनन ने बाढ़ को और भयावह बना दिया। सरकार के संरक्षण में खनन माफिया ने यमुना का रुख बदल दिया। एनजीटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सरकार को फटकार लगा चुके हैं, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय सरकार माफियाओं को बचा रही है।

7-15 हजार का मुआवजा किसानों से मजाक

हुड्डा ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित 7 से 15 हजार रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। उन्होंने तर्क दिया कि किसानों की शुरुआती लागत ही 30-35 हजार प्रति एकड़ होती है, जबकि सालाना पट्टा 60-70 हजार रुपये तक जाता है। ऐसे में सिर्फ 7 हजार रुपये का मुआवजा भद्दा मजाक है। किसानों को कम से कम 60-70 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा मिलना चाहिए।

विशेष पैकेज और स्पेशल गिरदावरी की मांग

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री को पंजाब की तरह हरियाणा में भी हालात का जायजा लेना चाहिए था और राज्य को विशेष पैकेज मिलना चाहिए। साथ ही सरकार को चाहिए कि वह पोर्टल का झमेला छोड़कर तुरंत स्पेशल गिरदावरी करवाए और किसानों तक सीधे आर्थिक मदद पहुंचाए। हुड्डा ने याद दिलाया कि 1995 की बाढ़ में कांग्रेस सरकार ने किसानों को न सिर्फ फसलों का बल्कि कोठड़ों, ट्यूबवेलों, मकानों और दुकानों तक का नकद मुआवजा दिया था। लेकिन मौजूदा सरकार किसानों को पोर्टल की लाइन में खड़ा कर रही है।

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