टोहाना, 1 मई (निस)
गांव चंदड़कलां में मात्र चार मरले की रजिस्ट्री को लेकर पेश हुए वकील जयपाल मलिक से एसडीएम टोहाना के कथित दुर्व्यवहार को लेकर बार के वकीलों ने कामकाज ठप रखकर एसडीएम टोहाना के कार्यालय के बाहर जोरदार रोष प्रदर्शन किया, जिसमें आधी दर्जन महिला वकीलों ने अधिकारी के विरुद्ध नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी वकीलों का नेतृत्व बार प्रधान सुरेश गिल व पूर्व प्रधान सत्यवान डुल्ट कर रहे थे।
बार के सभी वकील एसडीएम टोहाना कार्यालय की गैलरी में जमकर नारेबाजी देर सायं तक करते रहे। वकील 2 मई को कामकाज ठप रखकर डीएसी फतेहाबाद व चीफ सैक्रेटरी हरियाणा को शिकायत कर एसडीएम टोहाना के तबादले की मांग करेंगे। डुल्ट ने कहा कि जायज काम रोकना भी भ्रष्टाचार है, टोहाना में तहसीलदार का पद खाली होने से सैकड़ों लोग दिनभर काम न होने पर निराश होकर लौट रहे हैं।
वकीलों ने एसडीएम को सब रजिस्ट्रार की जिम्मेदारियां देने का विरोध करते हुए देर सायं तक नारेबाजी की।
शिकायकर्ता जयपाल मलिक ने कहा कि गांव चंदड़कलां की चार मरले भूमि की रजिस्ट्री को लेकर पेश हुए थे। आरोप है कि एसडीएम ने कहा कि गौतम से चैक करवाओ, वकील ने कहा कि चैक हो चुकी है, इसी बीच अपशब्दों का प्रयोग हुआ। मलिक का आरोप है कि एसडीएम ने वकील से मांफी मांगने के लिए कहने पर मामला बिगड़ता गया। आरोप है कि अधिकारी ने और कड़े अपशब्दों की ताड़ना की।
दोपहर बाद मामला बार के सामने रखने पर बार के करीब 100 वकीलों ने आज प्रात: एसडीएम कार्यालय पहुंचकर दिनभर नारेबाजी की। इतने में सिटी थाना एसएचओ अपनी टीम के साथ पहुंचे और बार के प्रधान सुरेश गिल, पूर्व प्रधान सत्यवान डुल्ट से बात की तो वकीलों ने कहा कि मामले के निपटारे के लिए एसडीएम बार में आएं।
एसडीएम टोहाना का स्पष्टीकरण
एसडीएम टोहाना प्रतीक हुड्डा ने वकीलों की नाराजगी पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि संसदीय चुनावों के चलते उनके कार्यालय व फील्ड में दिनरात काम पर जाना होता है। मैं कहीं गैरहाजिर नहीं, बल्कि मैं चुनावी ड्यूटी पर प्रात: गया था। उन्होंने कहा कि 30 अप्रैल को जयपाल मालिक वकील चार मरले भूमि की रजिस्ट्री के लिए कार्यालय में आया तो उसके कागजात अधूरे थे, मैंने उसे कार्यालय प्रभारी के पास कागजात वैरीफाई करवाने के लिए कहा परन्तु उसने झूठ बोला कि उसने कागजात वैरीफाई करवा लिए हैं। जब कागजात प्रस्तुत किए गए तो मैंने कहा कि आप झूठ बोलकर काम करवाना चाहते हो। मामले को आगे न बढ़ाते हुए मैंने वकील जयपाल मलिक पर दबाव न बनाकर रजिस्ट्री के कागजात बगैर किसी टिप्पणी के वापस कर दिए।