सफीदों, 17 अप्रैल (निस)
परोपकार की मंशा से दूसरे जरूरतमंदों के लिए कुछ मांगा जाए तो झोली खाली नहीं रहती। सफीदों में 3 उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना से यह सिद्ध हो गया है। वर्ष 1994 में, जब यहां राजकीय कालेज स्थापित हो रहा था तब यहां बिमारी के चलते दुनिया छोड़ने को तैयार एक महिला सरोज गर्ग ने अपनी अंतिम इच्छा में अपने पति व अन्य परिजनों से कहा था कि बेटियों को आगे बढ़ाना है तो उनके लिए अलग कालेज बने।
प्रदेश के मुख्य अभियंता पद से रिटायर्ड उनके पति टीसी गर्ग एक दशक तक इसके बोझ से उलझन में रहे औऱ आखिर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरला के नाम पर महिला कॉलेज की मंजूरी दी।
उसी समय टीसी गर्ग ने 25 लाख रुपये का सहयोग तत्काल दिया। कुक्कुट उद्योगपति कृष्ण राठी व अन्य ने महिला कॉलेज के लिए एक करोड़ जुटाए जो विभाग के पास जमा करा दिए, लेकिन सीएम के आदेश पर ये प्रबंधक समिति को लौटा दिए गए जिनकी एफडी हुई और समय के साथ ये डेढ़ करोड़ हुए। जिसमें एक करोड़ नर्सिंग कालेज पर खर्च हुए और अब 50 लाख की राशि की एफडी प्रबंधक समिति के पास है जिसका प्रयोग पैरामेडिकल कालेज में समय आने पर कर लिया जाएगा।
‘अंतिम सांस तक रहेगा जुनून’
पक्षाघात से पीड़ित टीसी गर्ग का कहना है कि ये जुनून तो अंतिम सांस तक रहेगा। कृष्ण राठी कहते हैं कि उनकी सोच यह है कि परमपिता ने उन्हें जो भी दिया है वह केवल उनके लिए या उनके परिजनों के लिए ही नहीं है। समाज मे बहुत लोग हैं जिनका उसपर हक है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने व्हीलचेयर पर चल रहे 90 वर्षीय टीसी गर्ग के इस उम्र में भी सेवा के जुनून को भरी सभा मे सलाम किया।