Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

हाई टेंशन तारों के नीचे लाखों लोग, विभागों की खींचतान से नहीं हो पा रहा समाधान

हरियाणा के शहरी इलाकों में हाई टेंशन बिजली तारों का खतरा नौ साल बाद भी जस का तस है। 2016 में पानीपत में एक मासूम बच्चे के साथ हुई दर्दनाक दुर्घटना के बाद भी विभागीय सुस्ती और जिम्मेदारी के मुद्दे...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

हरियाणा के शहरी इलाकों में हाई टेंशन बिजली तारों का खतरा नौ साल बाद भी जस का तस है। 2016 में पानीपत में एक मासूम बच्चे के साथ हुई दर्दनाक दुर्घटना के बाद भी विभागीय सुस्ती और जिम्मेदारी के मुद्दे पर खींचतान जारी है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव (बिजली) को तीन सप्ताह में ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। यह मामला 2016 में तब सामने आया, जब पानीपत में घर की छत के ऊपर से गुजर रही ओवरहेड हाई टेंशन लाइन की चपेट में आने से एक बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसके हाथ-पांव पूरी तरह से काम करना बंद कर चुके हैं। समाचार पत्रों में प्रकाशित इस घटना पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। हालिया सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम और उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम ने 2025 में जो आंकड़े पेश किए, वे 2022 में दाखिल रिपोर्ट से हूबहू मेल खाते हैं। 33 केवी लाइनों में से 90 को चिन्हित किया गया, 58 हटाई गईं, लेकिन 32 आज भी लंबित हैं।

Advertisement
Advertisement
×