Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

‘लाडो’ के कदम थमे, ‘लक्ष्मी’ से डरीं ! आशंका में नहीं किए आवेदन

मुख्यमंत्री ने योजना का दायरा बढ़ाने का लिया फैसला

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
मुख्यमंत्री नायब सैनी।
Advertisement

हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी ‘दीनदयाल लाडो-लक्ष्मी योजना’ में महिलाओं की उम्मीदें और आशंकाएं आमने-सामने खड़ी हैं। एक ओर सरकार ने गरीब परिवारों की महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये का भत्ता देने की सौगात दी, तो दूसरी ओर राशन कार्ड कटने के डर ने इस ‘लक्ष्मी’ की राह में रोड़ा डाल दिया है। गांव-गांव में महिलाएं यह सोचकर आवेदन से पीछे हट रही हैं कि अगर यह भत्ता खाते में आया, तो उनकी पारिवारिक आय बढ़ जाएगी और गुलाबी या पीले राशन कार्ड छिन सकते हैं।

सरकार के पास एक लाख रुपये तक वार्षिक आय वाले परिवारों की 19.62 लाख महिलाओं की सूची है। पहले चरण में इन्हीं परिवारों की महिलाओं को लाडो-लक्ष्मी योजना में कवर करने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल खोला जा चुका है। 25 अक्तूबर तक के आंकड़ों के हिसाब से सिर्फ 6 लाख 20 हजार महिलाओं ने ही योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। यानी हर तीन में से दो महिलाएं अब भी योजना से दूर हैं।

Advertisement

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस स्थिति पर नाराजगी और चिंता जताई है। समाज कल्याण और पंचायत विभाग से मिली रिपोर्टों के अनुसार, गांवों में महिलाओं के बीच यह धारणा फैल चुकी है कि अगर उनके खातों में हर महीने 2100 रुपये आए तो उनकी सालाना आय 25 हजार रुपये तक बढ़ जाएगी। ऐसे में वे ‘अंत्योदय’ या ‘बीपीएल’ की सूची से बाहर हो जाएंगी और राशन कार्ड कट सकता है।

Advertisement

दरअसल, 25 हजार से 50 हजार रुपये वार्षिक आय वाले परिवारों को गुलाबी कार्ड मिलते हैं, जबकि 50 हजार से 1.80 लाख रुपये तक वालों के लिए पीले कार्ड होते हैं। 1.80 लाख से अधिक आय वाले हरे कार्ड (एपीएल) बनाए जाते हैं। गुलाबी कार्डधारकों को हर महीने 35 किलो गेहूं तथा बीपीएल परिवारों को कई अन्य सुविधाएं मिलती हैं। ऐसे में महिलाओं को डर है कि अगर आय का आंकड़ा बढ़ा, तो सरकारी सुविधाएं छिन जाएंगी।

कोई डर या भय नहीं 

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अधिकारियों से रिपोर्ट लेने के बाद स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 1.40 लाख रुपये वार्षिक आय तक के परिवारों की महिलाएं भी इस योजना के तहत आवेदन कर सकेंगी। उन्होंने कहा कि किसी पात्र महिला को सिर्फ डर या भ्रम की वजह से इस योजना से वंचित नहीं रहना चाहिए। अब पंचायत सचिवों और क्रिड में कार्यरत कर्मचारियों को गांव-गांव जाकर पात्र महिलाओं की पहचान और मौके पर आवेदन कराने की जिम्मेदारी दी गई है। अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे महिलाओं को समझाएं की भत्ते से राशन कार्ड पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

पहली नवंबर को शगुन

समाज कल्याण विभाग ने पहले 25 अक्तूबर तक आवेदन करने वालों को पहली किस्त देने का प्रावधान किया था। लेकिन अब मुख्यमंत्री ने इसे 31 अक्तूबर तक बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। अगर यह सीमा बढ़ाई जाती है, तो अनुमान है कि आवेदन संख्या 8 से 10 लाख तक पहुंच सकती है। हरियाणा दिवस (पहली नवंबर) पर इन महिलाओं को पहली किस्त के तौर पर 2100 रुपये ‘शगुन’ के रूप में दिए जाएंगे।

हक और हिचकिचाहट की कहानी

हरियाणा सरकार का उद्देश्य इस योजना के जरिये महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता और सम्मान का अवसर देना है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि डर, भ्रम और जानकारी की कमी ने ‘लाडो’ को अपनी ‘लक्ष्मी’ से दूर कर दिया है। सरकार अब इसी दूरी को पाटने की कोशिश में जुटी है ताकि हर पात्र महिला तक लक्ष्मी का शगुन सचमुच पहुंच सके।

Advertisement
×