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कुमारी सैलजा बोलीं- हरियाणा में मनरेगा की अनदेखी, गरीबों के साथ हुआ अन्याय

2007-08 से 2022-23 तक के आंकड़े दर्शाते हैं कि पंजीकृत परिवारों की संख्या बढ़ी है
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कांग्रेस महासचिव व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा सरकार पर मनरेगा योजना कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह गरीब मजदूरों की जिंदगी सुधारने का साधन बने, न कि केवल कागजों पर चलने वाली योजना। 2022-23 में पंजीकृत 12.35 लाख परिवारों में से सिर्फ 4.72 लाख ने रोजगार मांगा और मात्र 1,331 परिवारों को ही 100 दिन का रोजगार मिला।

सोमवार को चंडीगढ़ से जारी एक बयान में सैलजा ने ठेकेदारों पर जेसीबी से काम कर मजदूरों का हक मारने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार की मौन सहमति से गरीबों को वंचित किया जा रहा है। उन्होंने विशेष ऑडिट, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई, पारदर्शी कार्य आवंटन, समय पर भुगतान और योजना को कृषि व ग्रामीण उत्पादक कार्यों से जोड़ने की मांग की, ताकि हर पात्र परिवार को पूरा रोजगार मिल सके।

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उन्होंने कहा कि 2007-08 से 2022-23 तक के आंकड़े दर्शाते हैं कि पंजीकृत परिवारों की संख्या बढ़ी है, लेकिन रोजगार मांगने और पाने वालों की संख्या में भारी गिरावट आई है। खासतौर पर 100 दिन का रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या बेहद कम है, जो गरीबों के साथ एक बड़े मजाक से कम नहीं है। 2022-23 में 12.35 लाख पंजीकृत परिवारों में से केवल 4.72 लाख ने रोजगार मांगा। इनमें से मात्र 1,331 परिवारों को ही 100 दिन का काम मिला।

हरियाणा जैसे राज्य में, जहां ग्रामीण मजदूर पहले से ही महंगाई, बेरोजगारी और कृषि संकट से जूझ रहे हैं, वहां मनरेगा का कमजोर होना गरीबों की रोटी छीनने जैसा है। सैलजा ने आरोप लगाया कि जो कार्य मनरेगा के तहत मजदूरों से करवाए जाने चाहिए थे, उन्हें ठेकेदार जेसीबी मशीनों से करवा रहे हैं, जिससे गरीब मजदूरों का हक छीना जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस पर आंख मूंदे बैठी है और कहीं न कहीं ठेकेदारों को मौन समर्थन दे रही है।

उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने उत्तराखंड में हाल की भीषण आपदा के बाद राज्य सरकार द्वारा दी गई राहत पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि तबाही से हजारों परिवार बेघर और बेरोजगार हो गए हैं, लेकिन ऐसे समय में पीड़ितों को केवल 5000 रुपये की चेक राशि बांटना उनकी पीड़ा के साथ मजाक है। उन्होंने कहा कि जब वहां सारे रास्ते बंद हैं और बैंक सुचारू रूप से काम नहीं कर रहे, तो यह चेक लेकर पीड़ित कहां जाएंगे। यह राहत नहीं, बल्कि अन्याय है।

सैलजा ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की कि आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास, आजीविका बहाली व जरूरी जीवन सुविधाओं के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता, त्वरित राहत सामग्री और स्थायी पुनर्वास योजनाएं दी जाएं। राहत पैकेज वास्तविक जरूरतों के अनुरूप बढ़ाया जाए, ताकि पीड़ित परिवार जल्द से जल्द सामान्य जीवन में लौट सकें।

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