ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 15 मार्च
प्रदेश में जमीनों की रजिस्ट्री तथा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा दी जाने वाली एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) में धांधली व कथित तौर पर रिश्वत लेने के मामले में विपक्ष ने मिलकर विधानसभा में सरकार को घेरा। विपक्ष ने सीधे तौर पर आरोप लगाए कि पैसे लेकर एनओसी दी जा रही है। वहीं सरकार ने जवाबी हमले में कहा कि गड़बड़ी हमने खुद पकड़ी है। पूर्व की सरकार की तरह हम भ्रष्टाचार के मामलों को दबाते नहीं बल्कि खुद उन्हें उजागर करते हैं और दोषियों पर कार्रवाई भी की जाती है।
इस दौरान करनाल का ताजा डीटीपी और तहसीलदार ‘रिश्वत कांड’ भी सदन में सुर्खियां बना रहा। इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला, निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू, किरण चौधरी व नीरज शर्मा के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान कई बार चाचा-भतीजा यानी अभय सिंह चौटाला व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला आमने-सामने हुए। रोचक बात यह रही कि दोनों ने एक-दूसरे पर तीखे तीर तो छोड़े लेकिन एक बार भी एक-दूसरे का नाम नहीं लिया।
शुरूआत नियम-7ए का उल्लंघन कर हुई रजिस्ट्री को लेकर हुई। विपक्ष के आरोपों पर दुष्यंत ने कहा, अनियमितता करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार को जहां भी गड़बड़ी होने का अंदेशा हुआ तो उसकी जांच करवाई गई और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। दुष्यंत ने कहा, उल्लंघन करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। विपक्ष को इसकी आलोचना की बजाय सराहना करनी चाहिए। चूंकि आज तक के इतिहास में इतनी बड़ी कार्रवाई कभी नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में नियम-7ए के उल्लंघन से जुड़े मामलों में 133 सब-रजिस्ट्रार, 97 ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार, 156 रजिस्ट्री क्लर्क और 361 पटवारियों को कारण बताओ नोटिस दिए हैं। रजिस्ट्री क्लर्क और पटवारियों को नोटिस डीसी के माध्यम से दिए हैं जबकि बाकी रेवन्यू अधिकारियों को एफसीआर की ओर से नोटिस देकर पंद्रह दिन में जवाब मांगा है। इनका जवाब आने के बाद उन पर अगली कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा, जो भी दोषी मिलेंगे, उनके खिलाफ सरकार नियमानुसार कार्रवाई करेगी।
अभय चौटाला ने गुरुग्राम में सस्पेंड किए रेवन्यू अधिकारियों को छह माह बाद ही बहाल करने को मुद्दा बनाते हुए आरोप लगाया कि सरकार दोषियों पर एक्शन लेने की बजाय उन्हें संरक्षण देने का काम कर रही है। पूरे मामले को दबाने की कोशिश हो रही है। दुष्यंत ने जब कहा कि ये अधिकारी हाईकोर्ट के आदेशों पर बहाल हुए हैं तो अभय ने कहा, जब सरकार केस ही कमजोर बनाएगी तो इसमें कोर्ट की भी क्या गलती है।
निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने कहा, 30 जून, 2020 में यह मामला सामने आया। सरकार के पास जांच रिपोर्ट भी आ गई लेकिन पौने दो साल तक इसे दबाकर रखा गया। करनाल के ताजा घटनाक्रम को उठाते हुए उन्होंने कहा कि पैसे लेकर झूठी एनओसी दी जा रही है। मंडलायुक्तों से आई रिपोर्ट में सरकार ने खुद माना है कि बिना एनओसी के रजिस्ट्री हुई। पलटवार करते हुए दुष्यंत ने कहा, इसे घोटाला नहीं कह सकते। यह अनियमितता का मामला है। उन्होंने कहा कि पहले जिला नगर एवं आयोजनाकार की एनओसी का प्रावधान नहीं था, यह हमने ही शुरू की।
दुष्यंत ने कहा कि करनाल में डीटीपी एनओसी के लिए पैसे लेता था। विजिलेंस ने उसे पकड़ कर रिमांड पर लिया। फिर पता लगा कि तहसीलदार के साथ भी लेन-देन था। उसे भी पकड़ा गया। उनहोंने कहा कि इसमें और भी जिस किसी की भूमिका होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। इस पर कुंडू ने कहा कि यह मामला एक जिले तक सीमित नहीं है। पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार है और इनके तार ऊपर तक जुड़े हुए हैं।
तोशाम विधायक किरण चौधरी ने कहा कि नीचे-नीचे तहसीलदारों की पोस्टिंग के लिए बोली लगती है। एनसीआर के जिलों में पोस्टिंग के लिए सैटिंग होती है। केवल मात्र पटवारियों पर गाज गिराई गई है। इस मामले में असली दोषियों को छोड़ा जा रहा है। रेवन्यू अधिकारियों को सस्पेंड करते हैं और फिर उन्हें बहाल कर दिया जाता है। किरण ने कहा, सरकार कहती है कि स्टॉम्प ड्यूटी में चोरी नहीं हुई लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं कि धांधली नहीं हुई। अवैध कालोनी काटने वाले लोग पैसे कमाकर निकल गए और अब गरीब लोग फंसे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है। सरकार की नाक तले भ्रष्टाचार हो रहा है।
एनआईटी मामले की होगी जांच
फरीदाबाद एनआईटी विधायक नीरज शर्मा ने कहा, तहसीलों में ‘आम’ और ‘खास’ के अंतर को खत्म करना होगा। एनआईटी की दो सगी बहनों – पिंकी व प्रीति का नाम लेते हुए शर्मा ने कहा, इनके ससुर दुनिया से चले गए लेकिन इनके 100 वर्गगज के प्लाट की रजिस्ट्री नहीं हुई। वहीं फरीदाबाद में एक ऐसे व्यक्ति की रजिस्ट्री कर दी गई, जिसके खिलाफ 24 करोड़ रुपये से अधिक बकाया था। नियमों के हिसाब से पहले इस पैसे का भुगतान होना था लेकिन ‘खास’ होने की वजह से कोई दिक्कत नहीं आई। दुष्यंत चौटाला ने इस मामले की जांच के आदेश विधानसभा में दिए। नीरज ने कहा कि धांधली के दोषियों को सस्पेंड करने से कुछ नहीं होगा। ऐसे लोगों की एनसीआर के जिलों में कभी पोस्टिंग नहीं होनी चाहिए। साथ ही, उन्हें पब्लिक डीलिंग की सीट पर नियुक्त नहीं करना चाहिए।