कृषि विभाग और प्रशासन की विशेष प्लानिंग की बदौलत जिला करनाल ने हरियाणा में फसल अवशेष प्रबंधन में पहला स्थान हासिल किया है। नतीजन पराली जलाने के मामले पिछले साल की अपेक्षा 96 से घटकर 18 पर पहुंच गए। प्रशासनिक और कृषि विभाग के अधिकारियों की मेहनत की वजह से जिला में पराली जलाने के मामलों में रिकार्डतोड़ करीब 95 प्रतिशत की कमी आई है।
कृषि विभाग के अधिकारी की मानें तो जिला में पराली जलाने के मामलों में कमी लाना कृषि विभाग के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था, चुनौती से निपटने के लिए कृषि विभाग द्वारा प्रशासन के साथ मिलकर अगस्त माह से ही विशेष प्लानिंग शुरू कर दी थी। प्लानिंग अनुसार रेड कैटेगरी में आने वाले 50 किसानों पर एक नोडल अधिकारी ओर येलो, ग्रीन कैटेगरी में आने वाले 100 किसानों पर एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई थी। इसके अलावा प्रशासन द्वारा जिला में करीब 350 से अधिक टीमों में करीब 750 से अधिक अधिकारी, कर्मचारियों को फील्ड में उतारा गया। जो गांव दर गांवों में गए, किसानों को पराली जलाने के नुकसान ओर न जलाने के फायदों के बारे में विशेष तौर से बताया। इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए थे, जिनके अनुसार पराली जलाने वालों किसानों पर केस और जुर्माना लगाना शामिल था। कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों के बीच जाकर किसानों से सहयोग की मांग की, जिससे किसानों का पूरा सहयोग मिल पाया ओर परिणाम सबके सामने है।
फसल प्रबंधन से पराली जलाने में आई कमी
जिला में इस बार किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन के तरीकों को बड़े स्तर पर अपनाया गया है, नतीजन सकरात्मक परिणाम आए है। फसल अवशेष प्रबंधन दो तरीकों से होता है, इनमें एक तो पराली को खेत में मिलना। दूसरा खेत से बाहर पराली ले जाकर काम करने को एक्स सीटू मैनेजमेंट बोलते हैं। जिला में करीब 300 सौ ज्यादा बेलर ने काम किया और चार लाख एमटी बेलस बनाई गई, जो सीधे उद्योगों को सप्लाई की गई। इससे किसानों को अतिरिक्त कमाई हुई, किसान भाईयों ने 1700 रुपये से लेकर 2000 हजार रुपये प्रति एमटी हिसाब से कमाई की। इसके अलावा सरकार द्वारा 12 सौ प्रति एकड़ अनुदान भी दिया गया।
''जिला में किसानों द्वारा 4 लाख 50 एकड़ में धान की फसल लगाई गई थी। किसान भाइयों ने कृषि विभाग के सहयोग से फसल अवशेष प्रबंधन के तरीकों को बड़े उत्साह से अपनाया। शासन, प्रशासन ओर कृषि विभाग के अधिकारियों की मेहनत ओर किसानों के सहयोग की बदौलत जिला करनाल पराली प्रबंधन के मामले में पहले स्थान पर आया है, जिसकी बदौलत इस बार जिला में पराली जलाने के 18 केस दर्ज किए गए, जबकि पिछले साल 96 केस दर्ज रिकार्ड किए थे, अगर 2021 की बात करें तो 1000 हजार केस दर्ज किए थे। किसानों के सहयोग और समझदारी से इस बार पराली जलाने के मामलों में भारी कमी आई है। अगले साल भी जिला में पराली जलाने के मामले शून्य स्तर पर होंगे।''
-डॉ. वजीर सिंह, उप कृषि निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, करनाल

