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साध्वी ऋतंभरा का भाषण सुन कार सेवक बने थे कंवरपाल गुर्जर

जगाधरी, 17 जनवरी (निस) श्री राम जन्म भूमि आंदोलन में स्कूल शिक्षा मंत्री चौ. कंवरपाल गुर्जर ने बढ़चढक़र भाग लिया। महज 30 साल की उम्र में वह पहली बार 1989 में सैकड़ों कारसेवकों के साथ अयोध्या गए। कंवरपाल ने बताया...
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जगाधरी, 17 जनवरी (निस)

श्री राम जन्म भूमि आंदोलन में स्कूल शिक्षा मंत्री चौ. कंवरपाल गुर्जर ने बढ़चढक़र भाग लिया। महज 30 साल की उम्र में वह पहली बार 1989 में सैकड़ों कारसेवकों के साथ अयोध्या गए। कंवरपाल ने बताया कि पहली बार उन्होंने 1989 में विश्व हिंदू परिषद व संघ के किसी कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इसके बाद भाजपा से जुड़े और साल 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस और इसके बाद एक बार और कार सेवा में अयोध्या गए। शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने बताया कि 1989 की बात है। वे दुकान करते थे। उनके पड़ोसी महीपाल रोहिल्ला और अशोक वालिया व अन्य कई लोग उन दिनों राम मंदिर आंदोलन से जुड़े थे। तब वे कहते थे कि अयोध्या जाना है, लेकिन वे तैयार नहीं हुए। उस समय उन्होंने साध्वी ऋतम्भरा का भाषण सुना । इससे प्रेरित होकर तब उसने अयोध्या में जाने के लिए कार सेवक के तौर पर फार्म भर दिया। कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि बड़े संघर्ष व बलिदानों के बाद अब यह शुभ अवसर सामने आया है। उन्होंने लोगों से 22 जनवरी को दीपावली मनाने की अपील की।

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1989 में कोहनी पर लगी थी लाठी

कंवरपाल के अनुसार 1989 में कार सेवकों पर जब अयोध्या में पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो एक लाठी उनकी कोहनी पर भी लगी थी। सर्दी के दिनों में कई साल तक कोहनी में दर्द होता था तो उन्हें अयोध्या की याद आ जाती थी। उन्होंने कहा कि श्री राम मंदिर देखने वह वहां जरूर जाएंगे। कंवरपाल ने बताया कि 51 लोगों की वाहिनी गई थी। अयोध्या पहुंचने तक 40 गिरफ्तार हो गए थे। शिक्षा मंत्री ने बताया कि उनके सहित 16 लोग वहां से भाग गए थे। अगले दिन फिर ट्रेन में बैठकर आगे चले तो पुलिस ने सभी को नीचे उतार दिया। पांच और उनके साथी वहां पर गिरफ्तार हो गए, लेकिन 11 लोग वहां से भाग गए। उन्होंने बताया कि वहां से अयोध्या करीब 60 किलोमीटर थी। गांव व जंगलों से पैदल होते हुए अयोध्या के पास पहुंचे। जंगल में रात काटी। सुबह चार बजे अयोध्या में पुल के पास पहुंचे तो पुलिस ने आगे कार सेवकों को रोका हुआ था। पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और गोलियां चलाई। गोलियां लगने से कई कार सेवक मारे गए। वहीं एक लाठी उनकी कोहनी पर लगी थी। उन्होंने बताया कि इसके बाद साल 1992 की कार सेवा में भी वे गए।

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