रोहतक, 4 फरवरी (हप्र)
कलानौर नगरपालिका चेयरपर्सन कांग्रेस की ममता रानी को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। बृहस्पतिवार को कलानौर नगरपालिका कार्यालय में उनके खिलाफ दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जिसमें 15 में से 10 पार्षद ममता रानी के खिलाफ थे। अविश्वास प्रस्ताव के बाद भाजपा खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई। भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रमेश भाटिया व मंडल अध्यक्ष गुलशन दुआ पालिका कार्यालय पहुंचे और पार्षदों को बधाई दी। इसके बाद वाइस चेयरपर्सन सुनील कत्याल को कार्यकारी प्रधान चुना गया। अविश्वास प्रस्ताव में सफल होने के बाद सभी भाजपा पार्षद पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर से डीएलएफ कॉलोनी स्थित उनके कैंप कार्यालय मिले।
मई 2018 को नगरपालिका के चुनाव हुए थे। इसके बाद पालिका प्रधान के लिए चुनाव में रोहतक के पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा व कलानौर की विधायक शकुंतला खटक के वोट की बदौलत ममता रानी पालिका की प्रधान चुनी गई थीं। ममता के प्रधान चुने जाने के कुछ समय बाद से भी पार्षदों ने उनकी खिलाफत करनी शुरू कर दी थी। उनकी कार्यशैली से परेशान 10 पार्षदों ने नवंबर 2019 को जिला उपायुक्त से मिलकर ममता रानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग की। इसके लिए डीसी ने 22 नवंबर को अहम बैठक भी बुलाई थी लेकिन कोरम पूरा न होने और प्रशासन की तरफ से नियुक्त प्रशासनिक अधिकारी के न पहुंचने से नाराज पार्षदों को निराशा हाथ लगी थी। इसके बाद 31 जनवरी, 2020 को एसडीएम राकेश कुमार सैनी की अध्यक्षता में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मीटिंग बुलाई गई थी। ऐन मौके पर ममता रानी ने विपक्ष के एक पार्षद को अपने पक्ष में शामिल कर विपक्षी पार्षदों के मंसूबों पर पानी फेर दिया था।
तख्ता पलट : ममता रानी गुट से 5 पार्षद आये
जनवरी 2021 में एक बार फिर पालिका के 10 पार्षदों ने उपायुक्त रोहतक को शपथपत्र देकर ममता रानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग की थी, जिसके बाद एसडीएम राकेश कुमार की अध्यक्षता में 4 फरवरी को मीटिंग बुलाई गई थी। बृहस्पतिवार को भाजपा समर्थित गुट के सभी 10 पार्षद सुबह 11 बजे पालिका कार्यालय पहुंच गए। ममता रानी गुट से 5 पार्षद आए। इसके बाद एसडीएम राकेश कुमार ने अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान की प्रकिया शुरू कराई। 10 पार्षदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन करने के बाद ममता रानी का तख्ता पलट हो गया।
पार्षदों के आशीर्वाद के बाद ही मुझे दो बार अध्यक्ष चुना गया था। अबकी बार उन्होंने मुझे आशीर्वाद नहीं दिया इसलिए मुझे किसी से कोई गिला-शिकवा नहीं है। लोकतंत्र में हार-जीत तो चलती रहती है। एक पार्षद के रूप में मुझ से जितने भी विकास कार्य होंगे, उन्हें मैं जरूर पूरे करवाऊंगी। मैं इस जनादेश का सम्मान करती हूं।
-ममता रानी, पूर्व चेयरपर्सन