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कैथल के साहिल का चेन्नई में ‘धड़का’ दिल दो के अंधियारे जीवन में किया उजाला

त्रासदी के बीच चमत्कार चार लोगों को मिली नयी जिंदगी। पीजीआई से एयरपोर्ट तक बनाया ग्रीन कॉरिडोर
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साहिल की फाइल फोटो
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ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 17 मार्च
पीजीआई चंडीगढ़ ने एक बार फिर ‘त्रासदी के बीच चमत्कार’ देखा, जब सिर्फ 20 साल का युवा दानकर्ता साहिल चार लोगों  के लिए आशा की किरण बना। चंडीगढ़ पीजीआई में भर्ती कैथल के युवक की मौत होने के बाद परिजनों ने मिसाल कायम कर उसके अंगदान का निर्णय लिया। परिवार के निर्णय से चार लोगों को नयी जिंदगी मिल सकी।  इसके बाद पीजीआई के रोटो विभाग ने अंगों का मिलान शुरू किया, लेकिन प्रतीक्षा सूची में किसी के साथ भी क्रास मैच नहीं हुआ।
अंत में नोट्टो के हस्तक्षेप से एमजीएम चेन्नई में भर्ती एक मिलान प्राप्तकर्ता को हृदय आवंटित किया गया। इसके लिए पीजीआई से एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। हवाई मार्ग से बेहद कम समय में दिल को चेन्नई एक मरीज में प्रत्यारोपित किया गया। पीजीआई सुरक्षा, यूटी प्रशासन और पुलिस के सक्रिय सहयोग और संपर्क से पीजीआईएमईआर से अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे मोहाली तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। अन्यथा, इस कार्य को पूरा करना लगभग असंभव होता।­

एक्सीडेंट में लगी थी गंभीर चोटें

कैथल के रहने वाले 20 वर्षीय साहिल का एक्सीडेंट 10 मार्च 2024 को हुआ था। दो मोटरसाइकिलों की टक्कर में उसे गंभीर चोटें लगी थी। दुर्घटना के बाद, साहिल को तुरंत उसी दिन एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में 10 मार्च, 2024 को पीजीआईएमईआर में स्थानांतरित कर दिया गया। सिर में गहरी चोटें लगने के कारण 13 मार्च को उसकी मृत्यु हो गई थी।

पिता ने दिखाया बड़ा दिल, लिया अंगदान का फैसला

मृतक साहिल के पिता मनोज ने अपने बेटे की मौत के बाद बड़ा दिल दिखाया। युवा दाता के दुःखी लेकिन बहादुर पिता मनोज ने अपने बेटे के अंगों को दान करने के फैसले पर विचार करते हुए कहा, यह कुछ ऐसा है जिससे किसी भी परिवार को नहीं गुजरना चाहिए। हमने अंग दान के लिए हां कहा, यह जानते हुए कि उसके अंगों से दूसरे लोगों को नया जीवन मिलेगा। हमें उम्मीद है कि उनकी उदारता की विरासत दूसरों को अंग दान पर विचार करने के लिए प्रेरित करेगी। हम जानते थे कि यह करना सही काम है।

अंगदान कीजिये

हर साल देश को 40 हजार दिल और डेढ़ लाख किडनी की जरूरत होती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट व पीजीआई समेत अन्य मेडिकल संस्थाओं के शोध के अनुसार गंभीर बीमारियों से जूझ लोगों के लिए प्रतिवर्ष 50 हजार फेफड़ों और 40-50 हजार लीवर और 2500 पेनक्रियाज (अग्नाश्य) की जरूरत होती है। अंग फेल होने की वजह से हर साल 3 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। दस लाख लोगों में से 232 की जान किडनी नहीं मिलने की वजह से हर साल जा रही है।

परिवार का फैसला अकल्पनीय : प्रो. विवेक लाल

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पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रोफेसर विवेक लाल ने दाता परिवार का आभार जताया। उन्होंने कहा कि “साहिल के परिवार द्वारा किया गया दान परोपकारिता के गहरे प्रभाव और त्रासदी को जीवन के अवसर में बदलने की ताकत का प्रमाण है। अपने ही परिवार के सदस्य की दुखद मृत्यु के बीच, कुछ अजनबियों की जान बचाने के बारे में सोचना अप्रत्याशित और अकल्पनीय है। उनके प्रति हमारा आभार व्यक्त करने के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं हैं।
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