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‘सभी के लिए न्याय’ सिर्फ नारा नहीं, इसे जमीन पर उतारना होगा : जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस आरसी लाहोटी की स्मृति में व्याख्यान आयोजित
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फरीदाबाद स्थित मानव रचना विश्वविद्यालय में आयोजित व्याख्यान में शामिल जस्टिस सूर्यकांत, पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित, डॉ. वंदना मरदा, डॉ. प्रशांत भल्ला, डॉ. अमित भल्ला व अन्य। -हप्र
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मानव रचना यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद में शनिवार को आयोजित द्वितीय जस्टिस आरसी लाहोटी मेमोरियल व्याख्यान में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि 'न्याय सभी के लिए' सिर्फ एक आदर्श नारा नहीं, बल्कि इसे ज़मीनी सच्चाई बनाना हमारी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि न्याय तक पहुंच केवल मुफ्त कानूनी सहायता देना नहीं, बल्कि ज़रूरतमंदों में आत्मबल, जागरूकता और करुणा का संचार करना भी है।

‘कानून से मुक्ति तक : वंचितों के लिए न्यायिक सहायता को सशक्त बनाना’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा चलाए जा रहे 90 दिवसीय अखिल भारतीय मध्यस्थता अभियान को 'तेज, सस्ता और सुलभ न्याय' की दिशा में क्रांतिकारी पहल बताया। उन्होंने तकनीक को न्यायिक सुधारों में सहायक मानते हुए यह भी कहा कि यदि इसमें मानवीय संवेदना का समावेश न हो, तो न्याय प्रणाली अधूरी रह जाती है।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने अपने संबोधन में जस्टिस आरसी लाहोटी को सादगी और अनुशासन का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि लाहोटी के छोटे लेकिन प्रभावशाली फैसले आज भी न्यायिक जगत का मार्गदर्शन करते हैं।

बेटी ने पिता की स्मृतियों को किया साझा

जस्टिस लाहोटी की पुत्री डॉ. वंदना मरदा ने अपने पिता की स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि यह व्याख्यान शृंखला उनके मूल्यों और दृष्टिकोण को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का माध्यम है। मानव रचना शैक्षिक संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत भल्ला ने छात्रों से आह्वान किया कि वे कानून को सिर्फ करियर नहीं, सामाजिक उत्तरदायित्व समझें। लॉ स्कूल की डीन और कार्यक्रम संयोजक प्रो. डॉ. आशा वर्मा ने अतिथियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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