दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 9 मई
लोकसभा चुनावों के लिए 25 मई को होने वाली वोटिंग से करीब दो सप्ताह पहले राज्य की नायब सरकार का संकट बढ़ गया है। तीन निर्दलीय विधायकों- सोमबीर सिंह सांगवान, धर्मपाल गोंदर व रणधीर सिंह गोलन द्वारा समर्थन वापसी के बाद सरकार अल्पमत में आ चुकी है। इस बीच, जजपा विधायक दल के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर सरकार से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है। दुष्यंत की चिट्ठी के बाद कांग्रेस ने भी राज्यपाल से मुलाकात का समय मांग लिया है। नब्बे सदस्यों वाली विधानसभा में मनोहर लाल और चौ. रणजीत सिंह के इस्तीफे के बाद विधायकों की संख्या 88 रह गई है। बहुमत के लिए भाजपा को 45 विधायक चाहिए। वर्तमान में भाजपा के पास 43 विधायकों का समर्थन है। इसी वजह से सरकार अल्पमत में है। इस घटनाक्रम के बाद इनेलो विधायक अभय चौटाला और महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी सरकार गिराने के लिए विपक्ष के साथ आ गए हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने दोनों विधायकों के साथ होने का दावा किया है।
विपक्ष के विधायकों की संख्या 45 है। ऐसे में वे राष्ट्रपति शासन लागू कर प्रदेश में विधानसभा चुनाव करवाने की मांग कर रहे हैं। आने वाले दिनों में इस पूरे मामले में और भी राजनीति गरमाएगी। हालांकि यह पूरी तरह से राज्यपाल पर निर्भर करेगा कि वे सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए कहते हैं या नहीं। हालांकि सीएम नायब सिंह सैनी स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है। अलबत्ता उन्होंने विपक्ष को ही नसीहत दे दी है कि वे अपने विधायकों को जांच लें।
वहीं दूसरी ओर, सूत्रों का कहना है कि नाराज होकर सरकार से समर्थन वापस ले चुके तीनों निर्दलीय विधायकों से भी अंदरखाने बातचीत शुरू हो गई है ताकि उन्हें मनाया जा सके। बृहस्पतिवार को राज्यपाल को लिखे पत्र में दुष्यंत चौटाला ने कहा कि नायब सरकार अल्पमत में है। ऐसे में सरकार से फ्लोर टेस्ट करवाया जाए। उन्होंने विधानसभा में विधायकों की संख्या का भी जिक्र अपने पत्र में किया है। साथ ही, दुष्यंत ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने मनोहर सरकार को समर्थन दिया हुआ था। मौजूदा सरकार को उनका समर्थन नहीं है।
विगत दिवस पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जजपा के मौखिक समर्थन पर दुष्यंत को नसीहत दी थी कि वे राज्यपाल को पत्र लिखे। दुष्यंत ने पत्र लिखने में जरा भी देरी नहीं लगाई। दुष्यंत की चिट्ठी सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस की ओर से भी राज्यपाल से मुलाकात का समय मांग लिया गया है, ताकि सरकार पर फ्लोर टेस्ट का दबाव बनाया जा सके। इससे पहले 13 मार्च को नायब सरकार ने विधानसभा में बहुमत पेश किया था। लेकिन अब प्रदेश में राजनीतिक परिस्थतियां बदल चुकी हैं। कांग्रेस राज्यपाल से मुलाकात कर विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाने की मांग करेगी।