झज्जर, 16 अप्रैल (हप्र)
बेशक शासन और प्रशासन समय पर फसल का उठान होने और समय पर किसान का भुगतान होने के लाख दावे कर रहे हों, लेकिन कटु सच्चाई यह है कि जहां फसल का उठान बेहद धीमी गति से हो रहा है वहीं किसान का उसकी फसल का भुगतान भी समय पर नहीं हो पा रहा है। बात की जाए झज्जर अनाज मंडी की तो इन दिनों गेहूं व सरसों की फसल से मंडी लबालब भरी पड़ी है। वाहन खड़ा करना तो दूर की बात किसानों के भी खड़ा होने की जगह मंडी में नहीं बची है। किसानाें और आढ़तियों दोनों ने ही प्रशासन और सरकार पर फसल के उठान में देरी करने का अारोप लगाया है। उनका कहना है कि झज्जर मंडी एक तो छोटी है और ऊपर से फसल का उठान बेहद धीमी गति के होने से मंडी में जगह नहीं बची है। किसानों का यह भी कहना है कि उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए टोकन लेने में भी काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है। वे सुबह 6 बजे ही टोकन लेने के लिए लाइन में आकर खड़े हो जाते हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। किसानों की परेशानी के सवाल पर संबंधित विभाग के अधिकारियों ने फसल के उठान की गति धीमी होने का मुख्य कारण नमी बताया है। उन्होंने कहा है कि फिर भी उनका प्रयास है कि किसी भी किसान को कोई परेशानी न होने दी जाए। उधर, किसान हर रोज खराब हो रहे मौसम से भी बेहद परेशान हैं। उनका कहना है कि यदि बरसात आती है तो झज्जर मंडी में खुले आसमान के नीचे पड़ा लाखों क्विंटल गेहूं खराब हो जाएगा। मंडी में कई किसानों व आढ़तियों ने समय पर भुगतान न होने की भी बात कही है। उनका कहना है कि एक तरफ सरकार 72 घंटे के भीतर उनकी फसल का पैसा उनके खातों में डालने की बात कहती है वहीं दूसरी ओर समय अवधि बीत जाने के बाद भी उनकी फसल का भुगतान नहीं हो पाया है।