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जेलों में हों स्थायी डॉक्टर, मनोविज्ञान चिकित्सक भी

दौरा करने के बाद मानवाधिकार आयोग ने की सिफारिश

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चंडीगढ़, 21 अगस्त (ट्रिन्यू)

हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने जेलों में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए मनोविज्ञान के डॉक्टरों की नियुक्ति करने की सिफारिश सरकार को की है। साथ ही, जेलों में बंद कैदियों व बंदियों के स्वास्थ्य की जांच व उपचार के लिए स्थाई डॉक्टरों का प्रबंध करने को आयोग ने कहा है। प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा करने के बाद आयोग ने कई तरह की सिफारिशें सरकार को की हैं।

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आयोग का मानना है कि कैदियों व बंदियों में कई तरह की बीमारियां हैं। स्किन से जुड़ी बीमारियों के काफी अधिक मरीज हैं। माना जा रहा है कि जेलों में कपड़ों व कंबलों की नियमित सफाई नहीं होने की वजह से त्वजा रोग से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं। आयोग के कार्यवाहक चेयरमैन दीप भाटिया ने कई जेलों का निरीक्षण करने के बाद ये सिफारिशें सरकार को की हैं। वर्तमान में जेलों में संबंधित सीएमओ (सिविल सर्जन) द्वारा रोटेशन आधार पर डॉक्टरों को भेजा जाता है।

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आयोग की सिफारिशों पर तुरंत कार्रवाई करते हुए सरकार ने सभी जेलों के अधिकारियों को कपड़ों व कंबालों की नियमित आधार पर धुलाई करवाने को कहा है। इतना ही नहीं, सरकार ने आयोग की इस सिफारिश को भी मान लिया है कि जेलों में बंद कैदियों व बंदियों की मेहनत-मजदूरी का मेहनताना भी बढ़ाने का निर्णय लिया है। निरीक्षण के दौरान पता चला कि बहुत से कैदी ऐसे हैं, जिन्हें जेल में मिलने के लिए कोई नहीं आता।

ऐसे कैदियों को बाहर से अपने किसी रिश्तेदार अथवा परिजन से आर्थिक मदद भी नहीं मिल पाती, जिस कारण वह कैंटीन से खरीदे जाने वाले विभिन्न सामान की सुविधा प्राप्त नहीं कर सकते। ऐसे कैदियों के हित में मानवाधिकार आयोग ने सरकार के समक्ष सिफारिश की है कि इन कैदियों की मूलभूत जरूरतों को ध्यान में ऱखते हुए कैंटीन की सुविधा के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराई जानी चाहिए। कैदियों द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटनाओं पर मानवाधिकार आयोग ने चिंता जाहिर की है।

इसी को ध्यान में रखते हुए मनोविज्ञान के डाक्टरों के नियुक्ति की सिफारिश की है। डाक्टरों की नियमित नियुक्ति के समय यह ध्यान रखा जाए कि उनमें साइकोलोजिस्ट (मनोवैज्ञानिक) जरूर हो। भाटिया ने कहा कि आयोग की सिफारिश पर सरकार ने जेल में आत्महत्या करने वाले कैदी के परिजनों को साढ़े सात लाख रुपये की मदद करने का प्रविधान किया है। नेशनल स्तर पर मानवाधिकार आयोग ने हरियाणा सरकार की इस पहल की सराहना करते हुए विभिन्न राज्य सरकारों को इस व्यवस्था को अपने-अपने यहां लागू करने को कहा है।

पंचकूला, पलवल समेत 4 जिलों में जेल नहीं

पंचकूला, पलवल, फतेहाबाद व चरखी दादरी जिला में अभी तक जेल नहीं है। हालांकि सरकार इसका फैसला कर चुकी है। आयोग ने इस कमी को भांपते हुए सरकार को कहा है कि इन जिलों में जेलों के लिए जल्द जमीन का चयन किया जाए। इन जिलों में जेल नहीं होने की वजह से यहां के कैदियों को साथ लगते जिलों में भेजा जाता है। इस वजह से कई जेलों में क्षमता से अधिक कैदी/बंदी हो जाते हैं। रेवाड़ी में जेल का निर्माण 10 साल से लंबित है। ठेकेदार व राज्य सरकार का विवाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चल रहा है।

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