नारनौल, 30 मई (हप्र)
बहुचर्चित जेल रिश्वत मामले के मुख्य आरोपी जेलर अनिल कुमार ने लगभग 5 माह के बाद सोमवार को अदालत में सरेंडर कर दिया। जहां से विजिलेंस टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले विजिलेंस की गुहार पर अदालत ने फरार जेलर को भगौड़ा घोषित कर उसकी संपत्ति अटैच करने के आदेश जारी कर दिए थे। इस मामले में सह आरोपी डिप्टी जेलर ने हाइकोर्ट से जमानत याचिका रद्द होने पर लगभग तीन महीने पहले आत्महत्या कर ली थी।
गौरतलब है कि 9 दिसंबर को स्टेट विजिलेंस की टीम ने नसीबपुर जेल के वार्डर राजन को एक कैदी के भाई से चक्की से बाहर निकालने के नाम पर एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों जेल परिसर से ही गिरफ्तार था। राजन से पूछताछ के बाद जेल के एक अन्य वार्डर गजे सिंह को गिरफ्तार किया गया।जेल में कैंटीन चलाने वाले वार्डर विवेक के सरकारी गवाह बनने के बाद मामला हाई प्रोफाइल हो गया। जिसमें जेल अधीक्षक अनिल जांगड़ा व उप अधीक्षक कुलदीप हुड्डा का नाम भी रिश्वत लेने में सामने आया। उप अधीक्षक कुलदीप हुड्डा को तो एफआईआर में भी नामजद किया गया है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी रिश्वत कांड की असली परतें उठ गई। इस पर अधीक्षक अनिल कुमार व उप अधीक्षक कुलदीप हुड्डा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए नारनौल कोर्ट में अग्रिम जमानत लगाई, जो खारिज हो गई। इसके बाद 11 जनवरी को एक अन्य कैदी के भाई की शिकायत पर भी अधीक्षक अनिल जांगड़ा, उप अधीक्षक कुलदीप हुड्डा व वार्डर गजे सिंह और वजीर सिंह के खिलाफ स्थानीय शहर थाना में डरा-धमका कर पैसे वसुलने का नया मामला दर्ज किया गया है। उसके बाद जेल अधीक्षक अनिल जांगड़ा व उप अधीक्षक कुलदीप हुड्डा ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की। जिस पर अदालत ने दोनो अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका रद्द कर दी गई। जिसके बाद तीन महीने पहले उप अधीक्षक कुलदीप हुड्डा ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। अब फरार जेलर अनिल कुमार ने जज अब्दुल मजीद की अदालत में सरेंडर कर दिया। विजिलेंस टीम ने जेलर को गिरफ्तार कर लिया। बाद में अदालत ने आरोपी जेलर अनिल कुमार को दो दिन के पुलिस रिमांड पर विजिलेंस टीम को सौंप दिया।