गुरुग्राम, 25 अप्रैल (हप्र)
भारत की पहली महिला डब्ल्यूडब्ल्यूई अंतर्राष्ट्रीय फाइटर कविता दलाल ने कहा कि लोग अब बेटियों के प्रति ज्यादा सजग हो गए हैं और उन्हें ज्यादा आजादी मिलने लगी है। बेटियां अपनी पसंद के कैरियर चुन सकती हैं लेकिन अभी और बदलाव की जरूरत है।
वह सरस्वती कुंज स्थित मां भगवती आश्रम के अधिष्ठाता अरुणानंद से मिलने पहुंची थी। इस दौरान उन्होंने डब्ल्यूडब्ल्यूई के प्रति अपने झुकाव की दास्तां सभी के साथ साझा की।
कविता ने कहा कि मैं जिस माहौल से आई हूं वहां बेटियों को पढ़ाने-लिखाने का रिवाज नहीं था। लड़कियों का जीवन माता-पिता के घर से शुरू होकर ससुराल तक ही सीमित था, लेकिन मुझे ये मंजूर नहीं था।’ वह बोली शुरूआती दौर में वेट लिफ्टिंग करती थी लेकिन इससे मन में संतुष्टि नहीं थी। फिर वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (डब्ल्यूडब्ल्यूई) ज्वाइन करने का फैसला लिया और आज का मुकाम आप सभी के सामने है। जींद से शुरू हुई इस यात्रा को संसारभर ने सराहा और भारतीय पारंपरिक लिबास ने मेरी अलग पहचान बनाई। उन्होंने कहा कि मैने अपने देश की बेटियों का मान बढ़ाने का खूब प्रयास किया। इस क्षेत्र में अपने जीवन के 18 साल दिए हैं और यही मेरी पहचान है। कविता कहती हैं कि समाज को अभी भी बेटियों के प्रति अपनी सोच में और बदलाव लाने की जरूरत है उन्हें उनकी उड़ान के लिए भरपूर उन्मुक्त आसमां दिया जाना जरूरी है। तभी वे अपने हौसले और हुनर का प्रदर्शन कर अपना लोहा मनवा पाएंगी।’ वह बताती हैं कि पहले भाई और शादी के बाद पति गौरव के सहयोग, सहायता के बिना उनकी यह यात्रा चल नहीं पाती। कविता का कहना है कि जब फाइट के लिए जाती थी तो प्रतिद्वंदी खिलाड़ी की ललकार उनके अंदर आक्रामक जोश भर देती थी, इससे वह अपने आप पर काबू नहीं रख पाती और यही उसकी जीत का कारण बनता। इस दौरान आश्रम के अधिष्ठाता अरुणानंद ने उनका स्वागत किया। इस मौके पर भाजपा नेता प्रवीण त्यागी, योगेश शर्मा, उपेंद्र यादव, अजय शर्मा मौजूद थे।