कुरुक्षेत्र, 13 सितंबर (हप्र)
हिंदी हिंदुस्तान की भाषा है। राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिंदी हिंदुस्तान को एकसूत्र में बांधती है। इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। ये विचार राजनैतिक विश्लेषक एवं भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर ‘आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मातृभाषा हिंदी की भूमिका’ विषय पर फतुपुर, कुरुक्षेत्र में आज आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। शुभारंभ आचार्य जीतेन्द्र ने किया। वैदिक ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि हमारे समस्त विकास के क्षेत्रों का कार्य हिंदी में न होकर अंग्रेजी में रहा है। बड़े स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे हिंदी में पिछड़ रहे हैं। हिंदी को महत्व न देना बड़ी भूल है।
इस अवसर पर मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने अपने विचार रखे। वेबिनार की अतिविशिष्ट अतिथि रामायण सेंटर, मॉरीशस की अध्यक्ष डॉ. विनोद बाला अरुण ने हिंदी की वैश्विक स्थिति पर प्रकाश डाला। अध्यक्षता अटल बिहारी हिंदी विवि, भोपाल के पूर्व कुलपति डॉ़ रामदेव भारद्वाज ने की। वेबिनार में कई गणमान्य प्रतिभागी रहे।