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IPS Suicide Case : आईजी पुष्पेन्द्र के हाथों में जांच की कमान; परिवार FIR से असंतुष्ट, पोस्टमार्टम पर भी संशय कायम

एसआईटी गठित, आईएएस पत्नी बोलीं- मुख्य आरोपियों के नाम और धाराएं गलत

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वाई पूरन कुमार व आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार की फाइल फोटो।
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IPS Suicide Case : हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले ने शुक्रवार को नया और अहम मोड़ ले लिया। चंडीगढ़ के डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा ने इस संवेदनशील मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) गठित कर दी है। इस छह सदस्यीय टीम को मामले की निष्पक्ष, त्वरित और गहराई से जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है।

एसआईटी की अध्यक्षता आईजीपी पुष्पेन्द्र कुमार करेंगे, जबकि इसमें वरिष्ठ आईपीएस और डीएसपी स्तर के अधिकारी शामिल हैं। टीम को 9 अक्तूबर की रात चंडीगढ़ के सेक्टर-11 में दर्ज हुई एफआईआर नंबर 156/2025 के तहत दर्ज मामले की हर पहलू से जांच, साक्ष्य एकत्रित करने, गवाहों के बयान दर्ज करने और विशेषज्ञ राय लेने के निर्देश दिए गए हैं।

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डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा द्वारा गठित एसआईटी के चीफ आईजीपी पुष्पेन्द्र कुमार होंगे। चंडीगढ़ की एसएसपी कंवरदीप कौर, सिटी एसपी केएम प्रियंका, डीएसपी-ट्रैफिक चरणजीत सिंह विर्क, साऊथ में एसडीपीओ गुरजीत कौर तथा सेक्टर-11 पुलिस स्टेशनप के इंस्पेक्टर जयवीर सिंह राणा को एसआईटी में बतौर सदस्य शामिल किा है। एसआईटी को निर्देश दिए हैं कि वह समयबद्ध तरीके से जांच पूरी कर अंतिम रिपोर्ट तैयार करे। आवश्यकता पड़ने पर अन्य विशेषज्ञों या अधिकारियों की सेवाएं भी ले सकती है।

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परिवार एफआईआर से असंतुष्ट, पत्नी ने भेजी नई शिकायत

इस बीच, मृतक अधिकारी की पत्नी और हरियाणा सरकार में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी़ कुमार ने एफआईआर पर गंभीर आपत्ति जताते हुए बृहस्पतिवार की रात 12:53 बजे एक विस्तृत शिकायत चंडीगढ़ पुलिस की एसएसपी को भेजी। उन्होंने आरोप लगाया है कि 9 अक्तूबर को रात 10:22 बजे दर्ज हुई एफआईआर नंबर 156/2025 अधूरी है, इसमें कई जरूरी तथ्य और नाम छूट गए हैं। अमनीत का कहना है कि एफआईआर में मुख्य आरोपियों - हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं हैं। ये नाम उनके पति द्वारा छोड़े गए ‘फाइनल नोट’ में साफ तौर पर उल्लिखित हैं।

एससी/एससी एक्ट की धारा 3(2)(v) लगाने की मांग

आईएएस अमनीत कौर ने अपनी शिकायत में कहा है कि एफआईआर में एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की गलत धारा लगाई गई है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले में धारा 3(2)(v) लागू की जाए, क्योंकि यह किसी दलित अधिकारी के खिलाफ की गई उत्पीड़न की गंभीर स्थिति पर लागू होती है। उनका कहना है कि अगर सही कानूनी प्रावधान नहीं लगाए गए, तो जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।

‘फाइनल नोट्स’ की प्रमाणित कॉपी न देने पर भी आपत्ति

अमनीत कौर ने कहा है कि 7 अक्तूबर को मृतक अधिकारी के पॉकेट और लैपटॉप बैग से दो ‘फाइनल नोट्स’ बरामद हुए थे, लेकिन अब तक उनकी सत्यापित प्रतियां परिवार को नहीं दी गईं। उनका आरोप है कि एफआईआर में जानबूझकर कुछ महत्वपूर्ण अंश छोड़े गए हैं, ताकि केस को कमजोर बनाया जा सके। उन्होंने आग्रह किया है कि दोनों ‘फाइनल नोट्स’ की प्रमाणित कॉपी परिवार को तत्काल दी जाए, ताकि एफआईआर और दस्तावेजों की तुलना की जा सके और सच्चाई सामने आ सके।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर बना सस्पेंस, दिनभर खिंची प्रक्रिया

शुक्रवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर पूरा दिन सस्पेंस बना रहा। सुबह से लेकर देर शाम तक प्रक्रिया चलती रही, लेकिन पोस्टमार्टम नहीं हेा पाया। दिनभर वाई पूरन कुमार के सेक्टर-24 स्थित आवास पर अफसरों, पूर्व पुलिस अधिकारियों और राजनेताओं का तांता लगा रहा। कई वरिष्ठ अधिकारी, सेवानिवृत्त आईपीएस अफसर और नेता परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने अमनीत पी़ कुमार और उनके परिवार को सांत्वना दी और आश्वासन दिया कि न्याय की लड़ाई में पूरा प्रशासनिक सहयोग दिया जाएगा।

परिवार की तीन प्रमुख मांगें

एफआईआर में मुख्य आरोपियों के नाम स्पष्ट रूप से जोड़े जाएं

एससी/एसटी एक्ट की सही धारा (3(2)(v) लगाई जाए

‘फाइनल नोट्स’ की प्रमाणित प्रतियां परिवार को तत्काल उपलब्ध कराई जाएं।

प्रशासनिक और कानूनी दोनों स्तरों पर अहम मोड़

वाई पूरन कुमार सुसाइड केस अब प्रशासनिक और कानूनी दोनों दृष्टि से बेहद संवेदनशील चरण में पहुंच चुका है। जहां एक ओर परिवार एफआईआर की धाराओं और पारदर्शिता पर सवाल उठा रहा है, वहीं दूसरी ओर डीजीपी हुड्डा की एसआईटी से उम्मीद की जा रही है कि वह साक्ष्य-आधारित और समयबद्ध जांच करेगी। फिलहाल, पोस्टमार्टम और संस्कार सबसे जरूरी है। परिवार और सहयोगी अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि इस केस की जांच सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सिस्टम की पड़ताल साबित होगी।

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