चंडीगढ़, 18 अप्रैल (ट्रिन्यू)
भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने अब पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय हुई रजिस्ट्रियों की जांच शुरू करवा दी है। बजट सत्र के दौरान सीएम मनोहर लाल ने 2010 से 2016 तक की अवधि में अर्बन एरिया डेवलेपमेंट एक्ट के नियम-7ए के तहत हुई रजिस्ट्रियों की जांच का ऐलान किया था। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने सीएम के ऐलान के बाद अब सभी जिलों के डीसी को इस बाबत हिदायतें जारी की हैं।
सभी जिलों के डीसी को कहा गया है कि वे 2010 से 2016 के बीच हुई रजिस्ट्रियों की जांच करके रिपोर्ट मुख्यालय में भेजें। दरअसल, कोरोना काल के दौरान नियमों का उल्लंघन करके रजिस्ट्री करने के मामले सामने आए थे। गुरुग्राम में पहली बार ये केस खुले थे। इसके बाद सरकार ने 2017 से 2021 तक नियम-7ए के अंतर्गत हुई रजिस्ट्रियों की जांच करवाई थी। जिलों से आई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि 65 हजार से अधिक रजिस्ट्रियों के मामलों में नियमों की अनदेखी की गई है।
जिलों से आई रिपोर्ट के बाद सरकार डीआरओ, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी व रजिस्ट्री क्लर्क आदि पर कार्रवाई कर चुकी है। 400 से अधिक रेवेन्यू अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। दास ने सोमवार को कहा कि अब 2010 से जांच करवाने का निर्णय लिया है। जिलों के डीसी को इसके लिए लिखा जा चुका है। उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि तहसीलदारों की ड्यूटी अन्य कामों में न लगाई जाए। तहसीलदार नहीं होने पर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
दास ने बताया कि विभाग द्वारा नया साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। यह शुरू होने से रजिस्ट्री के लिए लोगों को तहसीलों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। रजिस्ट्री करवाने वालों को अपना पूरा विवरण साफ्टवेयर पर अपलोड करना होगा। इसके बाद तहसीलदार उक्त व्यक्ति को सूचित करेगा कि इस दिन और कागजों के साथ तहसील पहुंचना है। उन्होंने कहा, वैसे तो किसी कागज की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।