यमुनानगर, 29 जून (हप्र)
बिजली निगम में 50 करोड़ के फर्जीवाड़े में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मामले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपी गई है। फर्जीवाड़े में अधिकारियों और कर्मचारियों ने कितनी संपत्ति बनाई है, इसकी जांच ईडी करेगी। इसके लिए ईडी ने बिजली निगम के एसई कार्यालय से संबंधित रिकॉर्ड कब्जे में लिया है।
बिजली निगम के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर राजेंद्र कुमार ने बताया कि ईडी की टीम उनके पास आई थी और उन्होंने इस मामले में संबंधित दस्तावेज उनसे प्राप्त किए हैं। इसमें 4 साल की ऑडिट रिपोर्ट व अन्य कागजात शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में पहले ही 8 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है, जिनमें से 2 कार्यकारी अभियंता सहित अन्य कर्मचारियों को पानीपत पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है। बिजली निगम ने जगाधरी डिवीजन का वर्ष-2018 से 2022 तक का ऑडिट कराया गया है, जिसमें 50 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। गड़बड़ी सामने आने के बाद अब बिजली निगम 2016-17 व 2017-18 का भी ऑडिट करवा रहा है। मामले की जांच कर रही पानीपत की सीआईए-टू टीम ने इस फर्जीवाड़े में 16 जून को बिजली निगम यमुनानगर के एक्सईएन कुलवंत सिंह और छछरौली सब डिवीजन के लाइनमैन सोनू को गिरफ्तार किया था। वहीं, इससे पहले भी कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
गलत मैसेज से खुला था मामला
पानीपत के गांव समालखा निवासी टैक्सी चालक के बैंक खाते में बिजली निगम के खाते से रुपये जमा होने का मैसेज आने के बाद मामले का खुलासा हुआ था। बिजली निगम के कर्मचारियों को जब इसका पता चला तो वह टैक्सी चालक से रुपये वापस लेने पहुंचे। चालक को कुछ शक हुआ तो उसने पानीपत थाने में शिकायत दी।