भिवानी (हप्र) : नशा करना व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक कमजोरी का द्योतक है। नशा वही व्यक्ति करते हैं, जिनके अन्दर जिम्मेदारियों को वहन करने की क्षमता नहीं होती। यह बात वैश्य महाविद्यालय की एनएसएस इकाई द्वारा महाविद्यालय के सेमीनार हाल में नशा मुक्ति व नरेंद्र से विवेकानंद तक की यात्रा विषय पर आयोजित विस्तार व्याख्यान को सम्बोधित करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डा. संजय गोयल ने अतिथियों एवं स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि ऐसे व्याख्यान बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लिए होते रहने चाहिए जो उनके लिए प्रेरणा स्त्रोत बनते हैं और जीवन को उन्नति की तरफ ले जाने में सहायक होते हैं। आज महाविद्यालय प्रांगण में प्राचार्य डा. संजय गोयल के नेतृत्व में एनएसएस इकाई 1 व 2 के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रीना व नरेंद्र कुमार के मार्गदर्शन में नशा मुक्ति एवं विवेकानंद से सम्बंधित विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें विवेकानंद सेवा केंद्र के संचालक लाल बहादुर शास्त्री, सह संचालक कृष्णपाल तथा गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल मित्ताथल के प्राचार्य जगमोहन मुख्य वक्ता थे।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।