असीम यादव/हप्र
नारनौल, 4 जुलाई
‘दैनिक ट्रिब्यून’ में 27 जून को ‘फसलों के मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे किसान, नहीं हो रही सुनवाई’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित होने के बाद 29 जून को उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा बीमा कंपनियों के अधिकारियों की बैठक लेकर स्पष्ट निर्देश दिए थे कि 3 जुलाई तक अगर बीमा कम्पनी सभी बीमित किसानों का मुआवजा वितरित नहीं करेगी तो कंपनी को भविष्य में ब्लैक लिस्ट करने के लिए मुख्यालय को लिखा जाएगा। लेकिन इसके बाद भी कंपनी के अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंगी और उन्होंने उपायुक्त द्वारा दी समयसीमा में भी मुआवजा वितरित नहीं किया।
जिसके परिणामस्वरूप आज उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने सरकार को पत्र लिखकर बीमा कम्पनी को ब्लैकलिस्ट करने की अनुशंसा की है। गौरतलब है कि 2022 में खराब हुई खरीफ की फसल का लगभग 10 हजार किसानों का 3 करोड़ रुपये का मुआवजा आज तक किसानों के खाते में नहीं आया है, जबकि किसानों ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर भी अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा चुके हैं।
मुआवजे के लिए किसान दर्जनों बार कृषि विभाग के कार्यालय में चक्कर काट चुके हैं जबकि फसल का बीमा करने वाली रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी का तीन साल का टेंडर 31 मार्च 2023 को समाप्त भी हो चुका है।
इस सम्बंध में 21 जून को भी किसानों ने सांसद धर्मवीर सिंह को ज्ञापन देकर उनकी फसलों का मुआवजा शीघ्र दिलवाने की मांग भी की थी, लेकिन वहां भी किसानों को सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
किस फसल का कितना है प्रीमियम
जानकारी के अनुसार कपास की फसल के एक एकड़ की बीमा राशि 34248 रुपये के लिए प्रीमियम राशि 1712 रुपये है। इसी तरह बाजरा की फसल की बीमा राशि 16604 रुपये के लिए प्रीमियम राशि 332 रुपये है जबकि गेहूं की बीमा राशि 26984 रुपये के लिए 404 रुपये व सरसों की एकड़ फसल की बीमा राशि 18162 रुपये के लिए बीमा राशि 272 रुपये है जो किसान के खाते से अपने आप कट जाती है।
क्या कहती हैं उपायुक्त
उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से सभी कार्रवाई करने के बावजूद भी बीमा कंपनी मुआवजा वितरण का कार्य लटकाए हुए है, यह बहुत ही गंभीर मामला है। किसानों के साथ किसी भी प्रकार की नाइंसाफी नहीं होने दी जाएगी। उपायुक्त ने कहा कि जब हरियाणा सरकार की ओर से क्षतिपूर्ति पोर्टल के माध्यम से मुआवजा वितरित किया जा चुका है तो अभी तक कंपनी द्वारा मुआवजा वितरित नहीं करना उनकी नियत पर सवाल उठाता है। इसलिए उन्होंने उक्त बीमा कम्पनी को ब्लैकलिस्ट करने की अनुशंसा सरकार से की है।