दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 15 जुलाई
फरीदाबाद नगर निगम में इन्हांसमेंट के नाम पर हुए 180 करोड़ से अधिक के घोटाले को देखते हुए प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब सिविल से जुड़े विकास कार्यों की मूल राशि में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी यानी इन्हांसमेंट की पेमेंट स्थानीय स्तर पर अधिकारी नहीं कर सकेंगे। सरकार ने पेमेंट करने पर रोक लगा दी है। पेमेंट संबंधित विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा ऑडिट करने फिर मंजूरी देने के बाद ही होगी।
ये आदेश सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, पंचायती राज संस्थाओं के अलावा सभी विभागों व बोर्ड-निगमों पर भी लागू होंगे। फरीदाबाद नगर निगम की तरह ही विकास कार्यों में सैकड़ों करोड़ रुपये के घोटालों का खुलासा पंचायती राज विभाग में भी हो चुका है। दोनों ही मामलों में स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा जांच भी की जा रही है। बताते हैं कि विजिलेंस ब्यूरो ने सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट में भी इन्हांसमेंट के नाम पर बड़ा ‘खेल’ होने का खुलासा किया है।
दैनिक ट्रिब्यून लगातार फरीदाबाद नगर निगम में हुए घोटाले की परतों को खोल रहा है। दस्तावेजों के साथ बताया गया कि किस तरह से एक ही दिन में निगम के अधिकारियों ने ठेकेदारों से मिलीभगत कर करोड़ों रुपये के विकास कार्यों के आॅर्डर जारी कर दिए। इतना ही नहीं, इन कार्यों के लिए जारी किए वर्क आॅर्डर की राशि में भी कई गुणा तक बढ़ोतरी हुई। यह बढ़ोतरी मूल वर्क आॅर्डर जारी होने के कुछ दिनों बाद ही जारी हुई। इसी तरह से फर्जी बिलों पर पेमेंट का खुलासा भी ट्रिब्यून ने किया था। सूत्रों का कहना है कि दैनिक ट्रिब्यून की खबरों पर संज्ञान लेते हुए ही सरकार ने यह कदम उठाया है। बहरहाल, मुख्य सचिव ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार इन्हांसमेंट के नाम पर होने वाले खेल को लेकर काफी गंभीर है। बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में कई अधिकारियों पर एक्शन भी होता नज़र आए।
फरीदाबाद नगर निगम में तो विकास कार्यों के लिए जारी किए गए वर्क आॅर्डर की मूल राशि में औसतन सात गुणा तक बढ़ोतरी की है। कई काम तो ऐसे भी हैं, जिनमें इन्हांसमेंट की बढ़ोतरी 20 गुणा तक भी है। इतना ही नहीं, बड़ी संख्या में ऐसे विकास कार्य भी नगर निगम फरीदाबाद ने कागजों में ही किए हुए दिखा दिए हैं, जो ग्राउंड पर हुए ही नहीं। यही नहीं, इन कार्यों की पेमेंट भी ठेकेदारों को दी जा चुकी है। यहां सतबीर सिंह नामक ठेकेदार को सबसे अधिक ठेके मिले और घोटाले भी उनके ही कामों में हुए।
विजिलेंस विभाग का जिम्मा भी मुख्य सचिव के पास है। मुख्य सचिव संजीव कौशल की ओर से इस इस बाबत सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों, अम्बाला, हिसार, रोहतक, गुरुग्राम, करनाल व फरीदाबाद मंडल के आयुक्तों, सभी विभागों के प्रमुखों, बोर्ड-निगमों के प्रबंध निदेशकों, सभी डीसी, सभी निगमों में आयुक्तों के अलावा शहरी स्थानीय निकायों तथा पंचायती राज संस्थाओं – जिला परिषद, ब्लाॅक समिति व ग्राम पंचायतों के अधिकारियों को हिदायतें दी हैं।
जिन कार्यों की मूल राशि में बढ़ोतरी, उनकी पेमेंट रोकी
मुख्य सचिव ने अपने पत्र में संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट किया है कि प्रदेश सरकार ने उन सभी विकास कार्यों की पेमेंट रोकने के आदेश दिए हैं, जिनकी मूल राशि में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है। हालांकि इसमें 10 प्रतिशत से अधिक की इन्हांसमेंट का जिक्र नहीं है, लेकिन जब 10 प्रतिशत तक पर ही रोक लग गई है तो इससे अधिक की इन्हांसमेंट के केस तो स्थानीय स्तर पर डील ही नहीं हो सकेंगे। 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी के मामलों में पेमेंट से पहले संबंधित विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा ऑडिट करवाया जाएगा। ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद प्रशासनिक सचिव की अनुमति से ही पेमेंट जारी हो सकेगी। अगर किसी मामले में प्रशासनिक सचिव की ओर से इन्हांसमेंट बढ़ाने पर सवाल उठाए गए या आपत्ति दर्ज की गई तो ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारी की जवाबदेही भी तय होगी। यह बताना ही नहीं होगा बल्कि साबित भी करना होगा कि मूल राशि में 10 प्रतिशत की राशि क्यों और किन परिस्थितियों में की गई। इसके पीछे के सभी कारण स्पष्ट तौर पर बताने होंगे।