दिनेश भारद्वाज/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 2 नवंबर। ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं। इनेलो उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला 65992 मत लेकर यहां से लगातार जीत का चौका लगाने में कामयाब रहे हैं। भाजपा-जजपा के गठबंधन प्रत्याशी गोबिंद कांडा ने अभय को कड़ी टक्कर दी। अभय सिंह इस बार महज 6739 मतों के अंतर से ही चुनाव जीते। 2019 के आमचुनाव में वे 11877 मतों से चुनाव जीते थे। गठबंधन प्रत्याशी ने जीत के अंतर को कम करके अभय की जीत के मजे को आधा कर दिया है।
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस प्रत्याशी पवन सिंह बैनीवाल अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। पवन बैनीवाल को मात्र 21357 वोट मिले थे। वहीं, गोबिंद कांडा ने 59253 वोट लेकर ऐलनाबाद में शानदार प्रदर्शन किया। गठबंधन के प्रदर्शन को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि उपचुनाव में न केवल भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है, बल्कि विपरीत स्थिति में पार्टी ने यह प्रदर्शन किया है। ऐलनाबाद के दर्जनभर ऐसे गांव थे, जहां भाजपा-जजपा नेताओं की एंट्री तक में रुकावटें थीं।
दिल्ली बार्डर पर पिछले 11 महीनों से चल रहे किसान आंदोलन का भी हलके में पूरा असर था। किसान आंदोलन के समर्थन और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ ही अभय चौटाला ने ऐलनाबाद हलके से इस्तीफा दिया था। ऐसे में उनकी जीत का अंतर कम होने से कहीं न कहीं किसान आंदोलन को भी झटका लगा है। एक और अहम बात यह है कि अगर किसान नेता राकेश टिकैत प्रचार के आखिरी दिन यानी 27 अक्तूबर को हलके में आकर अभय के लिए प्रचार नहीं करते तो नतीजे कुछ भी हो सकते थे।
अभय को दूसरा सबसे बड़ा सहारा पंजाबी बेल्ट (नामधारी सिख) से मिला है। कांग्रेस के प्रभाव वाली इस बेल्ट में इस बार सिख मतदाताओं ने अभय को काफी हद तक सहयोग किया। 30 अक्तूबर को हुए मतदान में कुल 1 लाख 51 हजार 524 लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
इतना ही नहीं, इस हलके में जिस तरह की राजनीति है, उसे अगर देखें तो अगर कांग्रेस प्रत्याशी जमानत बचाने में कामयाब हो जाते तो इनेलो के अभय सिंह चौटाला के पसीने छूट जाते। यहां का गणित साफ था कि कांग्रेस जितना कमजोर होगी, इनेलो को उतना ही लाभ होगा। अहम बात यह है कि चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में जब कांडा बंधुओं ने भाजपाइयों का सहयोग करना कम कर दिया तो सीएम मनोहर लाल खट्टर ने खुद मोर्चा संभाला।
सीएम ने लगातार दो दिन हलके में प्रचार किया। इतना ही नहीं, उन्होंने गठबंधन नेताओं के अलावा समाज के प्रबुद्ध लोगों के साथ बैठकें भी की। आखिरी दौर में भाजपा ने कमान अपने हाथों में ली। जजपा नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला ने भी आखिरी दो दिन में कई गांवों में जनसभाएं कीं। उनके पिता व जजपा सुप्रीमो डॉ. अजय सिंह चौटाला तथा छोटे भाई दिग्विजय सिंह चौटाला जजपा की पूरी टीम के साथ हलके में ही डटे रहे। अजय परिवार की हरसंभव कोशिश थी कि उपचुनाव में अभय को निपटाया जा सके।
बेशक, जजपा अपनी इस कोशिश में कामयाब नहीं हो पाई लेकिन जिस तरह से जजपा नेताओं ने मेहनत की, उसके नतीजे साफ दिखे हैं। हलके में बिजली मंत्री व रानियां से निर्दलीय विधायक चौ़ रणजीत सिंह का भी वोट बैंक है। रणजीत सिंह ने गठबंधन प्रत्याशी गोबिंद कांडा के अलावा सीएम के साथ भी कई जगहों पर जनसभाओं में शिरकत की। माना जा रहा है कि रणजीत सिंह अपना वोट बैंक ट्रांसफर करवाने में कामयाब रहे। बहरहाल, उपचुनाव के नतीजों से जहां इनेलो नेताओं में खुशी का माहौल है वहीं नंबर-दो पर रहने के बाद भी भाजपाइयों के हौसले बुलंद हैं।
हर जुबान पर रहे सिरसा के ‘कप्तान साहब’ के चर्चे
सिरसा के ‘कप्तान साहब’ के चर्चे ऐलनाबाद उपचुनाव में हर किसी की जुबान पर रहे। भाजपा-जजपा गठबंधन के सूत्रधार और दोनों पार्टियों में काआर्डिनेशन देख रहे मीनू बैनीवाल ने तराकांवाली बेल्ट में अभय को काफी नुकसान पहुंचाया। मूल रूप से ऐलनाबाद हलके के तराकांवाली गांव के ही रहने वाले बैनीवाल ने कागदाना, जमाल, गुड़ियाखेड़ा, नाथूश्री चौपटा, रामपुरा ढिल्लों, हजीरां, जागीआलां, लुदेसर व ढुकड़ा आदि गांवों में गठबंधन प्रत्याशी को काफी फायदा पहुंचाया। यह भी कहा जा सकता है कि अकेले इस बेल्ट में ही इस बार अभय को 8 से 10 हजार मतों का नुकसान हुआ है।