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इनेलो, जजपा लड़ रही अस्तित्व की लड़ाई

देवीलाल परिवार के लिए बांगर की धरती पर आसान नहीं सियासी जंग
चौ. देवीलाल
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जसमेर मलिक/हप्र

जींद, 3 सितंबर

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हरियाणा में 5 अक्तूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव जींद जिले में पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला परिवार के लिए बहुत बड़ी अग्नि परीक्षा होंगे। 1987 के बाद यह पहला मौका होगा, जब जींद जिले में चौधरी देवीलाल के परिवार को राजनीति में अपने प्रभुत्व की बजाय महज राजनीतिक अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़नी होगी। चुनावी नतीजे चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की राजनीतिक कर्मभूमि जींद में इस परिवार का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे।

ओम प्रकाश चौटाला

हरियाणा के मध्य में स्थित जींद जिला या बांगर बेल्ट के बारे में यह कहा जाता है कि यइ इलाका पूरे प्रदेश की राजनीति को कई दशकों से नई दिशा देता आ रहा है। लेकिन इसमें भी जींद जिला चौधरी देवीलाल और चौटाला परिवार का सबसे मजबूत राजनीतिक गढ़ रहा है। जींद जिले में कांग्रेस के लिए देवीलाल और चौटाला परिवार 1977 से बहुत बड़ी राजनीतिक चुनौती रहा।

1987 में चौधरी देवीलाल की लोकतंत्र की आंधी में जींद जिले की उस समय की सातों विधानसभा सीटों-जींद, कलायत, नरवाना, उचाना कलां, जुलाना, सफीदों तथा राजौंद में लोकदल की ऐतिहासिक जीत हुई थी। इसके बाद से देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के परिवार ने जींद जिले में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1990 में महम उपचुनाव की हिंसा के बाद हुए 1991 के विधानसभा चुनाव में भी जींद जिले में चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी को जुलाना और राजौंद में जीत हासिल हुई थी।

1996 में देवीलाल और चौटाला की पार्टी ने जींद जिले में सफीदों विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। फरवरी 2000 के विधानसभा चुनाव में जींद जिले में नरवाना, उचाना कलां और सफीदों में ओमप्रकाश चौटाला की इनेलो की जीत हुई थी। 2009 के विधानसभा चुनाव में जींद जिले में ओमप्रकाश चौटाला की इनेलो ने पांचों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था। 2014 के विधानसभा चुनाव में भी नरवाना, जींद और जुलाना विधानसभा सीट इनेलो के खाते में आई थी।

2019 के विधानसभा चुनाव में देवीलाल परिवार में टूट के बाद अस्तित्व में आई पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला की पार्टी जजपा ने उचाना, नरवाना और जुलाना में जीत हासिल की थी। जींद जिले में इनेलो के लिए सबसे बुरा राजनीतिक दौर 2005 के विधानसभा चुनाव में रहा था, जब जींद जिले में इनेलो को पांचों विधानसभा सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा था।

उचाना में चाचा-भतीजा होंगे आमने-सामने

उचाना कलां सीट इस बार काफी हॉट रहने वाली है। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह का कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ना तय है। जजपा से मौजूदा विधायक व पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला चुनाव लड़ेंगे। वहीं, इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भी उचाना से चुनाव लड़ने का ऐलान किया हुआ है। यानी पहली बार चाचा-भतीजा आमने-सामने चुनावी मैदान में आ सकते हैं।

अब बदल चुके सियासी हालात

वर्तमान में जींद में राजनीतिक हालात पूरी तरह से बदले हुए हैं। इनेलो राजनीतिक रूप से बेहद कमजोर नजर आ रही है। चौटाला परिवार में हुई टूट के बाद इनेलो 2019 के जींद उपचुनाव और अक्तूबर 2019 में हुए आमचुनाव में जींद जिले के किसी भी विधानसभा क्षेत्र में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थी। इनेलो का परंपरागत वोट बैंक जींद जिले में जजपा के साथ 2019 के विधानसभा चुनाव में चला गया था। मई में हुए लोकसभा चुनाव में भी जींद जिले में इनेलो का प्रदर्शन बेहद दयनीय रहा। 2019 में जजपा जरूर जींद में बड़ी ताकत बनकर उभरी लेकिन इस बार उसकी राहें भी आसान नहीं लगती।

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