चंडीगढ़, 10 जून (ट्रिन्यू)
महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने राज्यसभा चुनाव में मतदान ही नहीं किया। उन्होंने भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा को वोट नहीं डाला। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन को बाहरी बताते हुए उन्होंने उनका विरोध किया। कुंडू ने चुनाव से खुद को दूर करते हुए कहा कि वे इस चुनाव प्रक्रिया में भाग ही नहीं लेंगे।
विधानसभा परिसर में मीडिया से बातचीत में कुंडू ने राज्यसभा चुनाव पर अपने पत्ते खोलते हुए कहा कि चुनाव के नाम पर एक तरह की मंडी लगी हुई है। हॉर्स ट्रेडिंग का खेल चल रहा है। विधायकों की खरीद-फरोख्त हुई। उन्होंने कहा, ‘मेरा वोट बिकाऊ नहीं है। मैं चौ़ देवीलाल की कर्मभूमि से विधायक चुनकर आया हूं। मुझे न कोई खरीद सकता है और न ही कोई डरा सकता है’।
एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मुझे भी तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए थे। मुझे महम की जनता ने आजाद चुनकर भेजा है। मैंने खरीद-फरोख्त का सारा खेल देखते हुए अपनी अंतर्रात्मा से किसी को भी वोट नहीं करने का निर्णय लिया’। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने किसानों की दुर्गति की है। एक साल से भी अधिक समय तक चले किसानों के आंदोलन को मैं भूल नहीं सकता। इस सरकार के घोटालों को कोई कैसे भूल सकता है। उन्होंने कहा कि निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा भी गठबंधन के उम्मीदवार हैं।
गठबंधन सरकार ने प्रदेश के लाखों युवाओं को सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर कर दिया है। ऐसे में मैंने तय किया कि मैं कार्तिकेय शर्मा को वोट नहीं करूंगा। इसी तरह से कांग्रेस हाईकमान को कठघरे में खड़ा करते हुए कुंडू ने कहा, कांग्रेस को हरियाणा से कोई काबिल और ईमानदार उम्मीदवार नहीं मिला। जनभावनाओं का अपमान करते हुए बाहरी प्रत्याशी थोपा गया। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस किसी गरीब किसान के बेटे या पढ़े-लिखे युवा को उम्मीदवार बनाती तो मैं अपना वोट उसे देता। आखिर में उन्होंने राज्यसभा चुनाव में वोट ही नहीं करने का ऐलान किया।
विज और धनखड़ भी पहुंचे थे मनाने
बलराज कुंडू द्वारा किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देने के फैसले के बाद गृह मंत्री अनिल विज तथा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ कुंडू से बातचीत करने उनके सरकारी फ्लैट पर पहुंचे। दोनों नेताओं ने कुंडू को मनाने की कोशिश की लेकिन कुंडू ने साफ तौर पर कहा कि वे चुनाव में किसी को वोट नहीं देंगे। लगभग 20 मिनट दोनों नेता कुंडू के फ्लैट पर रहे लेकिन वे उन्हें मनाने में कामयाब नहीं हो सके। कुंडू का एक वोट चुनावों में बड़ा उलटफेर करने वाला साबित हो सकता था।
कुंडू को छोड़ सभी को एकजुट करने में सफल रही भाजपा
राज्यसभा के इन चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार अपने सहयोगियों को एकजुट करने में कामयाब रही। बेशक, महम विधायक बलराज कुंडू को सरकार नहीं मना पाई लेकिन बाकी छह निर्दलीय सरकार के साथ खड़े रहे। सिरसा विधायक गोपाल कांडा और ऐलनाबाद से इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला का वोट भी कार्तिकेय शर्मा के समर्थन में डलवाने में पार्टी सफल रही। भाजपा के पास खुद के चालीस विधायक थे। गठबंधन सहयोगी जजपा के भी 10 विधायक सरकार के साथ ही नजर आए। गोपाल कांडा तो सरकार को शुरू से ही समर्थन देते आ रहे हैं। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला खरीदफरोख्त के आरोप भी लगाते रहे लेकिन उन्होंने वोट दिया कार्तिकेय शर्मा को ही। बेशक, जजपा और इसके नेताओं के साथ अभय का छत्तीस का आंकड़ा है लेकिन सामने कांग्रेस होने की वजह से उन्हें जजपा के समर्थन से ही निर्दलीय चुनाव लड़ रहे कार्तिकेय शर्मा के साथ जाना सही समझा।
दादा गौतम फिर हुए हमलावर
इस तरह की भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि जजपा या निर्दलीय विधायकों में क्रॉस वोटिंग हो सकती है लेकिन सरकार की मैनेजमेंट कारगर साबित हुई। कांग्रेस चाहकर भी सेंध नहीं लगा पाई। नारनौंद से जजपा विधायक रामकुमार गौतम जरूर इस दौरान सुर्खियों में रहे। अपनी ही पार्टी के खिलाफ खुलकर बोल रहे गौतम ने बागी तेवर दिखाए। कांग्रेसियों को उनके तेवर से लग रहा था कि वे उनकी बात बन सकती है लेकिन गौतम सरकार के साथ ही खड़े हुए दिखे।