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चौथे ब्लाॅक में मोक्षपुरी द्वारका के होंगे दर्शन, तीर्थों की झलक भी मिलेगी

कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण संग्रहालय का होगा विस्तार
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साभार इंटरनेट मीडिया
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भगवान श्रीकृष्ण 16 कलाओं और 64 विद्याओं में निपुण थे। ज्ञान, वैराग्य, विनम्रता, धैर्य, वाकपटुता और प्रेम कला में ‘मुरलीधर’ दक्ष माने जाते थे। इसके साथ ही, शिल्प, धनुर्विद्या, अर्थशास्त्र, राजनीति, युद्ध, जादूगरी और कूटनीति के सबसे बड़े विद्वान थे। महाभारत स्थली कुरुक्षेत्र में स्थित श्रीकृष्ण संग्रहालय में पर्यटक और श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के इन्हीं ज्ञात-अज्ञात स्वरूपों को सहजता के साथ जान सकेंगे।

श्रीकृष्ण संग्रहालय के चौथे ब्लॉक में मोक्षपुरी द्वारका नगरी का अवलोकन कर सकेंगे, साथ ही 48 कोस के तीर्थों को भी मॉडल के तौर पर प्रदर्शित किया जाएगा।

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अभी हाल ही में राज्यपाल और मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हुई कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की 82वीं वार्षिक बैठक में श्रीकृष्ण संग्रहालय के विस्तार को मंजूरी दी गई। बाकायदा, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा चौथे ब्लॉक की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। फिलहाल, श्रीकृष्ण संग्रहालय में तीन ब्लॉक हैं। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा 1987 में श्रीकृष्ण संग्रहालय की स्थापना की गई थी। 1995 में एक नया ब्लॉक जोड़ा गया और 2012 में तीसरे संग्रहालय भवन में एक मल्टीमीडिया महाभारत और गीता गैलरी बनाई गई।

महाभारत और भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित श्रीकृष्ण संग्रहालय में मोक्षपुरी द्वारका नगरी के पर्यटक दर्शन कर सकेंगे। श्रीकृष्ण संग्रहालय के प्रस्तावित चौथे ब्लाक में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बसाई गई द्वारका नगरी को प्रदर्शित किया जाएगा। महाभारत काल के दौरान मथुरा छोड़ने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में एक नया नगर बसाया। इस नगर को मोक्षपुरी भी कहा जाता है, इसे भगवान श्रीकृष्ण की राजधानी भी माना जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि के साथ पर्यटक उनकी 16 कलाएं और 64 विद्याओं को भी जान सकेंगे।

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की वार्षिक बैठक में श्रीकृष्ण संग्रहालय के रखरखाव और दैनिक कार्यों का शीघ्र निपटान करने के लिए क्यूरेटर की शक्तियां बढ़ाने का फैसला लिया गया है। श्रीकृष्ण संग्रहालय के क्यूरेटर को छोटे-मोटे खर्चों के लिए 25 हजार रुपये की राशि खर्च करने की शक्तियां देने को मंजूरी दी गई।

स्मृतियों को किया जाएगा प्रदर्शित

48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा का कहना है की श्रीकृष्ण संग्रहालय के चौथे ब्लॉक में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी स्मृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। 48 कोस के तीर्थों को एक मॉडल के तौर पर पेश किया जाएगा। वहीं, मुख्य तीर्थों की महत्ता भी उल्लेखित की जाएगी, जिससे पर्यटक आसानी से तीर्थों के संबंध में और जान सकेंगे। वहीं, कुरुक्षेत्र में आने वाले पर्यटकों को श्रीकृष्ण नगरी मोक्षपुरी द्वारका के दर्शन भी होंगे, क्योंकि चार धामों में द्वारका धाम सबसे प्रमुख माना जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को सहेजना जरूरी...

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण ने पूरे विश्व को गीता के माध्यम से कर्म का संदेश दिया था। गीता आज भी वैश्विक स्तर पर समस्याओं के समाधान का सबसे बड़ा माध्यम है। भगवान श्रीकृष्ण 16 कलाओं और 64 विद्याओं में निपुण थे। उनकी इस निपुणता के बारे में पर्यटकों को जानकारी होना आवश्यक है, क्योंकि युद्ध के मैदान में भी गीता के जरिये भगवान श्रीकृष्ण ने शांति और कर्म का उपदेश दिया।

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