कुरुक्षेत्र, 12 सितंबर (हप्र)
कलाकार अपनी प्रतिभा के माध्यम से सदैव समाज को नयी दिशा देने के लिए प्रयासरत रहते हैं। एक ओर जहां कलाकार अपनी कला के माध्यम से देश की संस्कृति को विस्तार देते हैं वहीं, दूसरी ओर विभिन्न विषयों के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य भी करते हैं।
कलाकार समाज का एक अभिन्न अंग हैं जो आम नागरिकों के जीवन में खुशी का संचार करता हैं। ये कहना है कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा का। वे हरियाणा कला परिषद की साप्ताहिक संध्या में आयोजित कार्यक्रम गीतों भरी शाम के दौरान लोगों को मुख्यअतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
हरियाणा कला परिषद द्वारा कला कीर्ति भवन में आयोजित गीतों भरी शाम में जीरकपुर से आए गायक रुपेश ऋषि, स्वारांशि तथा सुकण्ठ ने अपनी गायकी से खूब समां बांधा। इस अवसर पर दीनबंधू छोटूराम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुरेश कुमार, कला एवं सांस्कृतिक विभाग हरियाणा से मनू कपूर, राजकीय उच्च विद्यालय के प्राचार्य जगदीश चंद्र विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों का स्वागत हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने किया। गीतों भरी शाम में जीरकपुर से आए कलाकारों ने नये-पुराने गीतों को सुनाकर श्रोताओं से भरपूर वाहवाही लूटी। अंत में मुख्यअतिथि ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। वहीं, संजय भसीन ने अतिथियों का अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह के द्वारा आभार जताया।
इस मौके पर नरेश सागवाल, शिवकुमार, वीपी वर्मा, रमेश कुमार, रजनीश भनौट, अशोक भाकरी, दीपक जांगड़ा, राजीव कुमार भी उपस्थित रहे।
इन गीतों से बांधा समां
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, जाने कितने दिनों के बाद गली में आज चांद निकला, इंतहा हो गई इंतजार की जैसे सुपरहिट गीतों के द्वारा सुकण्ठ और स्वारांशि ने खूब समां बांधा। वहीं, रुपेश ऋषि ने वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी, तुम को देखा तो ये ख्याल आया, होठों से छूलो तुम मेरा गीत अमर करदो जैसी बेहतरीन गजलें सुनाकर तालियां बटोरीं।