देशपाल सौरोत/हप्र
पलवल, 28 जनवरी
पलवल में केएमपी-केजीपी इंटरचेंज चौक के पास नेशनल हाईवे-19 पर चल रहा कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बृहस्पतिवार को 57वें दिन समाप्त हो गया। भारी पुलिस बल के दबाव में आंदोलनकारी किसान अपने तंबू हटाकर यहां से चले गए और प्रशासन ने भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगाए भारी अवरोधों को हटाकर नेशनल हाईवे चालू करा दिया। पुलिस अधिकारियों ने आंदोलनरत किसानों से सख्त लहजे में कहा कि या तो धरना स्थल खाली कर दो अन्यथा उन्हें सख्ती बरतनी पड़ेगी। जिसके बाद पिछले 57 दिनों से चल रहा किसानों का धरना मात्र 7 मिनट में ही खत्म हो गया और किसानोंं ने अपने टेंट उखाड़ दिए। यहां से प्रस्थान करने वाले किसानों का कहना है कि पुलिस प्रशासन का उन पर भारी दबाव था कुछ स्थानीय लोग भी आकर उन्हें धमकाने और गालियां दे रहे थे। जिसके कारण यहां से धरना समाप्त कर दिया है। लेकिन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की गारंटी देने की मांग को लेकर उनका आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है, वह चलता रहेगा। किसानों ने कहा कि वे यहां से सिंघु बॉर्डर भी जा सकते हैं और अपने गृह जिले ग्वालियर और मुरैना भी जा सकते हैं।
जल्द बुलाएंगे बैठक : दलाल
वहीं पूर्व कृषि मंत्री करण सिंह दलाल ने पलवल में आंदोलन कर रहे किसान नेताओं से आग्रह किया कि वे डरें नहीं बल्कि आंदोलन को और आगे बढ़ाएं। अगर उन्हें स्थानीय लोगों की सहायता की जरूरत है तो उन्हें हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी। दलाल ने कहा कि भाजपा सरकार दमनकारी नीति अपनाकर कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाना चाहती है, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि बेशक पुलिस के दबाव में पलवल से मध्यप्रदेश के किसानों का धरना समाप्त करा दिया गया हो, लेकिन नए कृषि कानूनों का विरोध जारी रहेगा। जल्द ही जिले के स्थानीय लोगों की एक बैठक बुलाकर अगली रणनीति बनाई जाएगी।
दलाल ने कहा कि आज पूरा देश भाजपा के षड्यंत्र को पहचान चुका है। लेकिन सरकार यह समझ ले कि वह किसानों की आवाज को दबाया नहीं सकती। भाजपा सरकार को कानून रद्द करने ही होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के लगातार ऐसे तानाशाही रवैये ने अंग्रेजी शासन की याद ताजा कर दी हैं।
साजिशकर्ताओं का जल्द करेंगे पर्दाफाश : शिवकुमार कक्का
राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य शिवकुमार शर्मा कक्काजी भी पलवल में धरनास्थल पर पहुंचे और कहा कि अभी आगामी आंदोलन के बारे में वे कुछ नहीं कह सकते लेकिन इतना तय है कि 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर पूरे देश में किसान अनशन करेंगे। उन्होंने ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में लाल किले पर हुई शर्मनाक हरकत के बारे दूसरे किसान संगठनों के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा कि अब हम एक बार फिर नए सिरे से विचार करके अगले आंदोलन की रूपरेखा बनाएंगे। हमारे बीच जो लोग घुस आए थे, आने वाले दिनों में हम इसका पर्दाफाश भी करेंगे कि कैसे उन्होंने सरकार के साथ मिल हमारे आंदोलन को खराब किया।
”किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। धरना स्थल पर जाकर किसानों को समझाया गया है कि सभी किसान धरना स्थल को खाली कर दें। अगर ऐसा नहीं किया तो पुलिस ठोस कार्रवाई करेगी। धरना स्थल पर मौजूद सभी किसान अपना सामान एकत्रित कर यहां से जा रहे हैं।”
-दीपक गहलावत, एसपी पलवल