ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 5 जून
हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी अब गांवों का रुख करेंगे। प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी 6700 से अधिक गांवों में एक-एक वरिष्ठ अधिकारी की ड्यूटी लगाने का फैसला लिया है। इनमें आईएएस, एचसीएस के अलावा विभिन्न विभागों के क्लास-वन अधिकारी शामिल रहेंगे। गांवों से जुड़ी केंद्र व राज्य सरकार की विकास योजनाओं के अलावा अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग व गरीब परिवारों से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा इन अधिकारियों के कंधों पर रहेगा।
प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पंचायती राज संस्थाओं – जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायतों को भंग करके उनमें प्रशासक नियुक्त कर चुकी है। फरवरी में इनका कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। 100 से अधिक नई ग्राम पंचायतें इस बार अस्तित्व में आई हैं। विकास एवं पंचायत विभाग समय रहते वार्डबंदी का काम पूरा नहीं करवा सका। ऐसे में चुनावों में देरी हुई। कोरोना संक्रमण के अलावा दिल्ली बाॅर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन को देखते हुए भी सरकार ने पंचायतों के चुनाव टाले हैं।
अब सभी गांवों को एक-एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले करने के फैसले को भी आने वाले दिनों में होने वाली पंचायत चुनावों से ही जोड़कर देखा जा रहा है। बेशक, पंचायती राज संस्थाओं के विकास कार्य अब प्रशासकों के माध्यम से हो रहे हैं। माना जा रहा है कि क्लास-वन अधिकारियों को गांव सौंपने से विकास कार्यों में तेजी आएगी। इसके पीछे गठबंधन सरकार की गांवों में ‘पैठ’ बनाने की भी मंशा है। विगत दिवस सीएम मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक में भी इस बाबत चर्चा हुई।
विकास योजनाओं की जानकारी लेंगे गांवों में जाकर : वहीं सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को एक-एक जिले का इंचार्ज नियुक्त किया हुआ है। अब इन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जिलों में जाकर विकास योजनाओं को लेकर बैठक करें। विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिव ये अधिकारी अपने विभाग की योजनाओं की निगरानी करेंगे। साथ ही, 50 से 100 करोड़ रुपये या इससे अधिक के प्रोजेक्ट्स को लेकर भी वे जिलों के अधिकारियों से फीडबैक लेंगे।
मुख्यालय स्तर पर मिलने वाली स्वीकृित हासिल करने में होगी आसानी प्रशासनिक सचिवों के जिलों में जाने का फायदा यह भी होगा कि विकास योजनाओं में मुख्यालय स्तर पर मिलने वाली मंजूरियों में आसानी होगी। कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिनके लिए कई विभागों ने एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) लेनी होती है। ऐसे में प्रदेश मुख्यालय के अधिकारियों के ही जिलों में जाने से एनओसी से जुड़े काम भी जल्द होंगे। प्रशासनिक सचिवों को भी जिलों में कम से कम एक गांव का दौरा करने को कहा है ताकि वहां लोगों के बीच जाकर उनसे फीडबैक जुटाया जा सके।
कोविड व ब्लैक फंगस पर लेंगे रिपोर्ट
प्रशासनिक सचिवों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने अधीन वाले जिलों में कोविड-19 संक्रमण, ब्लैक फंगस के अलावा संक्रमण की तीसरी संभावित लहर को लेकर भी जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक करें। कोरोना की दूसरी लहर में जब प्रदेश में ऑक्सीजन संकट गहराया और अस्पतालों में लोगों को बेड्स व दवाइयां नहीं मिली तो सरकार ने आला अफसरों को जिलों में तैनात किया था। जिलों के प्रभारी अधिकारियों को संबंधित मंत्री की गैर-मौजूदगी में ग्रीवेंस कमेटियों की बैठकें लेने के भी निर्देश दिए हुए हैं।
सभी प्रशासनिक सचिवों को निर्देश दिए हैं कि वे सप्ताह में 2 से 3 दिन जिलों में जाएं और अपने विभागों से संबंधित परियोजनाओं का अध्ययन करें। जिला व प्रदेश मुख्यालय पर काेऑर्डिनेशन करके विकास परियोजनाओं को गति दें। 50 या 100 करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग भी प्रशासनिक सचिवों को सौंपी है।
-संजीव कौशल, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव