पंचकूला, 25 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा में सफाई कर्मचारियों के सीवरेज की सफाई के दौरान होने वाली माैतों की रोकथाम के लिए रेवाड़ी और गुरुग्राम में दो सेंसर आधारित पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए जा रहे हैं। हरियाणा देश का पहला राज्य है, जहां सीवर कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए इस प्रकार के आधुनिक उपाय अपनाए जा रहे हैं। हरियाणा सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमैन कृष्ण कुमार ने बृहस्पतिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद दूसरे जिलों में भी चरणबद्ध तरीके से अपनाया जाएगा। आयोग की ओर से 4 अप्रैल को करनाल में सफाई मित्र उत्थान सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल मुख्यातिथि होंगे। इस दौरान सीएम पायलट आधार पर शुरू किए जा रहे प्रोजेक्ट का शुभारंभ करेंगे।
25 वर्षों में हो चुकी 117 सीवर कर्मियों की मौत : चेयरमैन कृष्ण कुमार ने बताया कि सीवरेज में मिथेन गैस होती, जोकि सफाई के लिए उतरे सीवर कर्मियों को अपनी चपेट में ले लेती है। पिछले 25 वर्षों में सीवर की सफाई के दौरान 117 सीवर कर्मियों की मौतें हुई हैं, जबकि इस वर्ष 5 सीवरमैन की जान जा चुकी हैं। सीवर की सफाई के दौरान मौत होने पर पीड़ित परिवारों को 10 लाख रुपये की राशि मुआवजे के रूप में दी जाती है।
कृष्ण कुमार ने बताया कि रेवाड़ी में आठ व गुरुग्राम में चार सेंसर लगाए गए हैं। सीवर जब निर्धारित सीमा के बाद ओवरफ्लो होता है तो सेंसर के जरिए इसकी जानकारी संबंधित जेई व एसडीओ को व्हाट्सएप, टैक्सट मैसेज और ई-मेल के जरिए हासिल होगा। इसके बाद क्षेत्र के सीवरमैन को इसकी जानकारी दी जाएगी जोकि मौके पर जाकर सीवरेज की सफाई करेगा। इस प्रणाली के जरिए सीवरमैन को सीवर के अंदर प्रवेश करने की जरूरत नहीं होगी।
चेयरमैन ने बताया कि अगले चरण में आयोग द्वारा सफाई कर्मियों को पोर्टेबल जैटिंग व सक्शन मशीन उपलब्ध करवाई जाएंगी। सीवरकर्मी इन मशीनों को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा पाएंगे। इस अवसर पर हरियाणा सफाई कर्मचारी आयोग के सचिव अनिल नागर व सदस्य रामफल लोहट व आजाद सिंह भी उपस्थित रहे।