नयी दिल्ली, 26 सितंबर (एजेंसी)
कांग्रेस ने संसद से हाल ही में पारित श्रम सुधार संहिता संबंधी 3 विधेयकों को मजूदर विरोधी करार देते हुए शनिवार को दावा किया कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर अपने निर्णय थोपना ‘इस सरकार के डीएनए में’ है और इन संहिताओं को लेकर भी यही किया गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी कहा कि इन संहिताओं के विरोध में कांग्रेस सड़क पर उतरेगी और मजदूरों के हित सुनिश्चित करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। राज्यसभा ने गत बुधवार को उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को मंजूरी दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को हटाने की अनुमति होगी। खड़गे ने दावा किया कि सरकार ने किसानों से जुड़े विधेयकों की तरह इन संहिताओं में भी विपक्ष को संशोधन का मौका नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पीएम नहीं समझ रहे कि अगर 8 घंटे काम करने की बजाय 12 घंटे काम करने की छूट दी गयी तो फिर क्या होगा। सरकार को मजदूरों की चिंता नहीं है।’ कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया, ‘इस सरकार ने श्रमिकों के साथ बहुत बड़ा धोखा ठीक उसी प्रकार से किया जैसे कि किसानों के साथ किया।’
श्रमिकों की बढ़ेंगी मुश्किलें
श्रमिक संगठन इंटक के अध्यक्ष जी संजीव रेड्डी ने आरोप लगाया कि सरकार श्रमिकों के हितों के खिलाफ काम कर रही है और इन संहिताओं से मजदूरों के लिए बहुत मुश्किलें पैदा होंगी तथा श्रमिक संगठनों की भूमिका को भी खत्म किया जा रहा है।