जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 30 मार्च
एक ओर प्रदेश सरकार स्थानीय शहरी निकायों को अपने संसाधनों से आय बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है, वहीं दूसरी ओर शहर में अवैध होर्डिंग्स लगाने का खेल चल रहा है। इन होर्डिंग्स की कमाई नगर निगम के खाते में जाने के बजाय दलाल खा रहे हैं। सरकार ने आज तक विज्ञापन नीति नहीं बनाई है, जिस कारण निगम टेंडर जारी नहीं कर सकता हे। नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी जरनैल सिंह मानते हैं कि विभिन्न स्थानों पर लगे बिना अनुमति के होर्डिंग्स बिना अनुमति के लगाए गए हैं। इनका एक भी पैसा निगम में जमा नहीं हुआ। यदि धार्मिक अथवा राजनीतिक होर्डिंग लगाए जाते हैं तो उनकी अनुमति लेना आवश्यक है।
निगम की आर्थिक स्थिति है खराब : नगर निगम की आर्थिक हालत खराब है। हर महीने कर्मचारियों को वेतन देने के भी लाले पड़े रहते हैं। ऐसे में शहर के विभिन्न हिस्सों में लगे होर्डिगों का किराया किसकी जेब में जा रहा है, इसका किसी को पता नहीं है। कम से कम इसके माध्यम से मिलने वाला पैसा नगर निगम के खाते में तो कतई नहीं जा रहा।
अम्बाला क्लब के मामले में तय किए थे रेट
अम्बाला क्लब द्वारा 18 मार्च 2019 को नगर निगम से अपनी दीवार पर विज्ञापन बोर्ड लगाने की अनुमति भी मांगी थी। निगम ने विज्ञापन की दर 100 रुपए प्रति वर्ग फुट प्रति महीना तय की गई थी। ऐसे में 20 गुना 20 फुट साइज के एक बोर्ड का नगर निगम का किराया ही 40 हजार रुपए प्रति माह बनता है और इससे कम साइज के होर्डिंग आम तौर से कोई लगवाता भी नहीं है।